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गीता जयंती मनाने का अर्थ है मानव को मानव बनाने का अभियान। सही मायनों में इसे तभी सार्थक माना जाएगा, जब आपसी प्रेम, सद्भावना और हर घर में खुशी होगी। ये उद्गार प. रामचंद्र पाण्डेय ने व्यक्त किए। वह आध्यात्मिक गीता-ज्ञान प्रचारिणी सभा के तत्वावधान में रामपुरा माेहल्ला स्थित श्रीगीता भवन में श्रद्धालुओं काे संबाेधित कर रहे थे। रामचंद्र ने कहा कि मानव के हाथों से बनाई गई मूर्ति की हम पूजा करते हैं और भगवान के हाथों से बनाए गए जीव आपस में लड़ते हैं। आपसी सम्बंधों में आई खटास को मिटाने के लिए गीता द्वारा दिखाए मार्ग पर चलें। हर समस्या का समाधान स्वयं हो जाएगा। भगवान के चरणों में शरणागति का उपदेश गीता है। पं. पतंजलि पांडेय ने भी गीता पर चर्चा करते हुए अनेक प्रसंग सुनाए। इससे पूर्व त्रिभुवन बक्शी, प्रेमलता, सुमित मित्तल, जितेश राखा ने भजनों की वर्षा की। प्रधान ऊषा बख्शी ने कहा कि गीता महाेत्सव पूरे साेशल डिस्टेसिंग के तहत मनाया गया। इस अवसर पर दयानंद बंसल, विनोद गोयल, गुलशन महाजन, कुलदीप चोपड़ा, कृष्णलाल मेहता, अत्तर चंद भुटानी, साहिल राजपाल, शांतिस्वरुप तनेजा, हरिप्रकाश सिंगल, यशपाल मुंडेजा