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करगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाली 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन को ही मिली फाइटर प्लेन रफाल की जिम्मेदारी

चौथी प्लस पीढ़ी के जंगी जहाज रफाल के 29 जुलाई को अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन पर जमीन छूते ही 41 साल पुराना इतिहास दोहराया जाएगा। 27 जुलाई 1979 को जगुआर फाइटर जेट की पहले खेप ब्रिटेन से सीधे अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन पर पहुंची थी। अब रफाल की पहली खेप फ्रांस से सीधे अम्बाला पहुंचनी है। पुराना इतिहास देखते हुए पहले 27 जुलाई को रफाल को अम्बाला लाने की योजना थी। बाद में मौसम और तकनीकी कारणों से तारीख 2 दिन खिसक गई। एयरफोर्स प्रवक्ता के मुताबिक 29 जुलाई को 4 से 6 जेट अम्बाला में लैंड करेंगे।

स्क्वाड्रन लीडर आहूजा को 1999 में शहीद होने के बाद मिला था वीर चंक्र

17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन का इतिहास वीर गाथाओं से भरा है। 1999 के करगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन सफेद सागर के समय स्क्वाड्रन बठिंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात थी। तब पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ विंग कमांडर थे और इसी स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर थे। 27 मई 1999 को स्क्वाड्रन के लीडर अजय आहूजा मिशन पर थे, जब एक स्टिंगर मिसाइल ने उनके विमान को निशाना बनाया।

स्क्वाड्रन लीडर आहूजा विमान से इजेक्ट (बाहर निकलना) कर गए थे, मगर वे शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र सम्मान प्रदान किया गया था। इस घटना के बाद स्क्वाड्रन के पायलटों ने पाकिस्तान सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया और महत्वपूर्ण ठिकानों पर बम बरसाए, जिसमें विंग कमांडर बीएस धनोआ भी शामिल थे।

करगिल युद्ध में अदम्य प्रदर्शन करने पर विंग कमांडर बीएस धनोआ को युद्ध सेवा मेडल, स्क्वाड्रन लीडर ए चौधरी को वायुसेना मेडल, फ्लाइट लेफ्टिनेंट आरएस धालीवाल को वायुसेना मेडल एवं अन्य सम्मान हासिल हुए। इस स्क्वाड्रन की स्थापना 1 अक्टूबर 1951 में हुई। 2016 में भंग करने से पहले स्क्वाड्रन मिग-21 विमानों का संचालन कर रही थी, जिन्हें एयरफोर्स के बेड़े से अब धीरे-धीरे बाहर किया जा रहा है। अब रफाल विमानों का संचालन इस स्क्वाड्रन को ही सौंपा गया है।

रफाल के स्वागत के लिए स्टेशन पर हैंगर बनाने की तैयारी में जुटा एयरबेस

मिग 21 बाइसन की स्क्वाड्रन अम्बाला से 2019 में नाल (जोधपुर) एयर बेस शिफ्ट हुई थी। उन्ही की जगह रफाल की तैनाती हो रही है। अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन काफी समय से मिग-21 के हैंगरों के स्थान पर रफाल के लिए हैंगर बनाने का काम चल रहा है। रफाल के लिए नया ढांचा तैयार किया जा रहा है। फिलहाल 29 जुलाई को सादे समारोह में ही रफाल को रिसीव किया जाएगा।

20 अगस्त को विधिवत कार्यक्रम के दौरान इन्हें एयरफोर्स में शामिल करने की योजना है। रफाल के लिए एयरफोर्स की 17वीं गोल्डन एरो स्क्वाड्रन को पिछले साल सितंबर में अम्बाला में पुन: खड़ा किया जा चुका है। इस स्क्वाड्रन की स्थापना 1 अक्टूबर 1951 में हुई। 2016 में भंग करने से पहले स्क्वाड्रन मिग-21 विमानों का संचालन कर रही थी। अम्बाला में जगुआर की दो स्कवाड्रन नंबर 5 व 14 हैं।



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Only 17 Golden Arrow Squadron, which played an important role in Kargil War, got the responsibility of fighter plane Rafal


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