
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी और जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में कारगिल विजय दिवस के अवसर पर रविवार को कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि देेने के लिए ऑनलाइन कार्यक्रम किया गया। गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टंकेश्वर ने कहा कि वे 12 वर्ष से जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र से जुड़े हैं। आज का दिन गर्व का है कि भारत के वीर सैनिकों ने कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त की थी। इस युद्ध में जो सैनिक शहीद हुए थे उनको हम नमन करते हैं।
मुख्य वक्ता सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सैय्यद अता हसनैन ने कारगिल युद्ध और राष्ट्रीय सुरक्षा विषय पर बोलते हुए कहा कि वे जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र से सात वर्ष से जुड़े हैं। कारगिल युद्ध के अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि युद्ध में हौसला होना चाहिए, तभी हमें जीत प्राप्त होगी। उन्होंने बताया कि 15 कोर को कमांड किया था। उन्होंने सैनिक जीवन के अनुभव के बारे में बताया कि कारगिल में विंटर वेकेशन होता था। इसमें बर्फबारी होने के बाद हेलिकॉप्टर नहीं जाते थे उन्हें स्टॉकिंग करनी पड़ती थी।
अप्रैल-मई में बर्फ पिघलने के बाद ही वहां जाया जा सकता था। उन्होंने बताया कि 1984 से 1998 तक पाकिस्तान ने लगातार भारत पर हमले किए। कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है। उन्होंने बताया कि वैसे तो पाकिस्तान ने इस युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को ही कर दी थी जब उसने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर 5000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था। इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। यह युद्ध ऊंचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था। भारत ने कारगिल युद्ध जीता। उन्होंने प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी दिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री जवाहर कौल ने की। उन्होंने कहा कि भारत देश के गर्व, प्रेरणा, सम्मान और प्रेरणा के प्रतीक कारगिल के वीर शहीदों के बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने कारगिल युद्ध को हिमालय की रक्षा करने की रिहर्सल बताया। जवाहर ने कहा कि कारगिल युद्ध सेना की बहादुरी, वीरता का स्मरण करवाती है। केयू की कार्यवाहक कुलपति डॉ. नीता खन्ना ने कहा कि ऑपरेशन विजय के दौरान कई भारतीय वीर जवानों ने निडरता के साथ अपने जीवन की आहुति दी।
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