
जब किसी घर में कोई कुंवारा ही मर जाता है तो उसकी आत्मा को घर से दूर रखने के लिए खेत या कहीं बाहर पितर का थान बनाने की हरियाणा में परंपरा बरसों से चली आ रही है। कुरुक्षेत्र एरिया में रहने वाले लोगों ने ऐसे पितर थान सन्निहित सरोवर तीर्थ के घाट पर बना रखे थे। ये थान यहां दशकों पहले से बनते आ रहे हैं। लेकिन यह जगह कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (केडीबी) की है।
केबीडी इस जगह का सौंदर्यीकरण करने के लिए पिछले ढाई साल से इन्हें हटाने की कोशिशें कर रहा था। इसके लिए केडीबी ने नोटिस देकर यहां से थान हटाने का समय भी दिया था। अब गुरुवार को केबीडी ने पितरों, भौरखों व सतियों के तौर पर बने स्ट्रक्चर को अर्थ मूविंग मशीन से तोड़ दिया। घरों से तो पितर पहले से ही बाहर थे।
अब सरोवर घाट पर भी उनके लिए स्थान नहीं रहा। इसकी जानकारी जैसे ही संबंधित परिवारों को लगी, सभी केडीबी कार्यालय पहुंच गए। इसे लेकर तनाव बढ़ गया। बाद में विधायक सुभाष सुधा के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई बीच में ही रोक दी गई। अब एक सप्ताह का समय दिया गया है। इन सतियों, भौरखों व पितरों की दुनिया यहां से कहीं दूसरी जगह बसाई जाएगी। इसके लिए विधायक और प्रशासन जगह दिलवाएगा।
केडीबी के सीईओ कपिल शर्मा व मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा का कहना है कि यह जगह केडीबी की है। सन्निहित सरोवर पर खसरा नंबर 146/2 मिन की 86के-15एम जगह केडीबी की है। पूर्वी किनारे पर लैंड स्केपिंग होगी। यहां सौंदर्यीकरण किया जाएगा। साथ ही यहां महिलाओं के लिए कपड़े बदलने के लिए ब्लॉक व टॉयलेट बनाया जाएगा। यहां पेड़ों की कटाई नहीं होगी।
कई दशक से बने हैं पितरों, भौरखों और सतियों के थान
सन्निहित सरोवर के पूर्वी घाट पर कई दशक से भौरखों, पितरों व सतियों के निमित्त छोटे-छोटे थान बने हैं। कुछ लोगों को कहना है कि इनमें से कुछ तो आजादी के पहले के भी हैं। ये स्थान उन लोगों ने बनाए, जो कभी दूसरे जिलों, गांवों से आकर शहर में बसे हैं। त्योहारों, शादी विवाह जैसे खुशी के मौकों पर पितर पूजन की परंपरा है। इसके लिए लोगों को पैतृक गांव में पितरों के स्थान पर जाना पड़ता था। ऐसे में कुछ लोगों ने सन्निहित किनारे खाली पड़ी जगह पर पितरों के निमित्त थान बना दिए। ब्राह्मण एवं तीर्थोंद्वार सभा के प्रधान पवन शर्मा पौनी कहते हैं कि पहले कुछ ही लोगों ने थान बनाए था। अब यहां पैर रखने तक की जगह नहीं है।
दिखाई तेजी, बारिश में चली अर्थमूविंग मशीन : ढाई साल बाद गुरुवार को अचानक से केडीबी ने कार्रवाई में तेजी दिखाई। बारिश के बीच ही सन्निहित पर अर्थमूविंग मशीन की मदद से पितरों व भौरखों के लिए बने स्थान को ढहा दिया। केडीबी अधिकारियों का कहना है कि इस संबंध में पहले ही नोटिस दिया हुआ है। सन्निहित पर कई बार सूचना लगाई गई। अब भी 30 जुलाई तक का समय दिया था। जब किसी ने पितरों के स्थान नहीं हटाए तो यह कार्रवाई करनी पड़ी।
लोगों में हड़कंप से गहराया तनाव: कार्रवाई का पता चलते ही संबंधित लोगों में हलचल मच गई। कई लोग पता चलते ही मौके पर पहुंचे । लोगों ने इस कार्रवाई का विरोध किया। रोष के चलते कार्रवाई कुछ देर थमी रही। इसके बाद लोग एकजुट होकर केडीबी कार्यालय पहुंचे।
विधायक का हस्तक्षेप, दिलाएंगे जगह: इसी बीच विधायक सुभाष सुधा व सांसद नायब सैनी भी केडीबी कार्यालय पहुंच गए। दोनों स्वामी ज्ञानानंद महाराज को अयोध्या के लिए तीर्थों की मिट्टी व पानी सौंपने पहुंचे थे। यहां लोगों ने विधायक के समक्ष कार्रवाई पर रोष जताया। बोले पहले कहा था कि यहां से स्थान नहीं हटाया जाएगा, लेकिन अब अचानक केडीबी ने इन्हें तोड़ दिया। इससे उन सब की आस्था पर चोट की गई। इस पर विधायक ने कार्रवाई रुकवा दी। एक सप्ताह तक की मोहलत ली। जल्द ही शहर या आसपास में जगह दिला कर यहां स्थित भौरखे व सतियों के स्थान को शिफ्ट कराया जाएगा। इसके बाद ही केडीबी अपनी कार्रवाई करे।
एसडीएम साहब के आते ही तोड़फोड़
विधायक ने इस संबंध में एसडीएम और केडीबी सीईओ कपिल शर्मा से बातचीत की। कहा कि एसडीएम साहब आते ही तोड़फोड़ कर दी। बता दें कि कपिल शर्मा ने एक दिन पहले ही बतौर एसडीएम कार्यभार संभाला था। उक्त जगह खाली कराने के लिए प्रोसेस पूर्व सीईओ गगनदीप सिंह की तरफ से शुरू की गई थी।
पैसा जा चुका वापस, अब सौंदर्यीकरण
सन्निहित के पूर्वी किनारे पर लैंडस्केपिंग होगी। इसके तहत सौंदर्यीकरण किया जाएगा। वहीं महिलाओं के कपड़े आदि बदलने के लिए टायलेट व ब्लॉक बनना है। अमावस्या जैसे मौकों पर यहां काफी महिलाएं स्नान व लता बदलने की रस्म निभाने आती हैं। वहीं रोजाना सैकड़ों महिला श्रद्धालु व पर्यटक भी पहुंचते हैं। बताया जाता है कि यहां करीब एक करोड़ की लागत से काम होने हैं। उक्त ब्लॉक के लिए 40 लाख का बजट भी मिला था, लेकिन उसे वापस भेजना पड़ा। केडीबी मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा का कहना है कि अब श्रीकृष्णा प्रोजेक्ट के तहत यहां डेवलपमेंट व सौंदर्यीकरण होगा। इसके लिए बजट स्वीकृति है।
तीर्थों व विकास के लिए की गई कार्रवाई
केडीबी अधिकारियों का कहना है कि ढाई साल से यह प्रोसेस चल रहा है। इसके लिए लोगों को काफी मोहलत दी। करीब 40-50 साल से यहां एक तरह से कई लोगों ने कब्जा किया है। कई ऐसे परिवार हैं, जिनके पास शहर में अपनी खुद की जगह है, लेकिन उन्होंने भी यहां स्थान बनाए हैं। पितरों के स्थान घर या खेत में बनाए जा सकते हैं। कुरुक्षेत्र के तीर्थों व विकास के लिए ही इन्हें हटाया जा रहा है।
केडीबी का कदम आस्था पर चोट : अरोड़ा
वहीं कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा का कहना है कि केडीबी का यह कदम आस्था पर चोट है। पहले दूसरी जगह मुहैया कराई जानी चाहिए थी। ताकि लोग खुद ही इन्हें यहां शिफ्ट कर लेते, लेकिन यहां मशीन चला कर पितरों के मंदिरों को तोड़ दिया गया। कहा कि जल्द अलग जगह मुहैया कराई जाए।
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