Skip to main content

प्लाज्मा देने के लिए भी इंदौर में सबसे पहले 2 डॉक्टर आगे आए, इंजीनियर समेत 3 कोरोना संक्रमितों का इलाज शुरू

(थैरेपी दे रहे इंदौर के डॉ. सतीश जोशी की भास्कर के लिए रिपोर्ट)उन्होंने सुनील सिंह बघेल को बताया किप्लाज्मा थैरेपी उम्मीद की किरण मानी जा रही है, हालांकि इसमें कोविड मिला व्यक्ति, जो ठीक हो जाता है, क्या उसके शरीर में इतनी एंटीबॉडी बनती है कि वह दूसरे मरीज को ठीक कर सके, जैसी बातों पर बहस चल रही है, लेकिन फिर भी यह माना जा रहा है कि प्लाजा थैरेपी मील का पत्थर साबित हो सकती है। देश विदेश में इस थैरेपी के उत्साहवर्धक नतीजे मिले हैं। भारत में कोरोना संक्रमित पर इसका पहला प्रयोग 14 अप्रैल को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में हुआ था।

हमने अरबिंदो अस्पताल में रविवार से इस पर काम शुरू किया है। प्लाज्मा देने के लिए दो डॉक्टर आगे आए हैं। ये दोनों संक्रमित थे और उसे मात देकर 14 दिन का क्वारैंटाइन पीरियड पूरा कर चुके हैं। इनका प्लाज्मा लेकर तीन संक्रमित आईडीए के इंजीनियर कपिल भल्ला, प्रियल जैन और अनीश जैन को 200 मिलीलीटर प्लाज्मा चढ़ा रहा है। इन दोनों के फेफड़ों में अत्यधिक संक्रमण है। रविवार को मैंने और डॉ. रवि डोसी ने पहला डोज दिया है।

अभी नतीजों के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन अगले 3 से 5 दिन के भीतर एक्स-रे और दूसरी रिपोर्ट की समीक्षा कर प्लाज्मा का एक और डोज देने पर फैसला करेंगे। वैसे हम लोग इस पद्धति पर कई दिन से काम कर रहे हैं। अरबिंदो से जो भी कोरोना मरीज ठीक होकर घर जा रहे थे, उनसे डोनर के रूप में सहमति लेने का काम जारी था।

प्लाज्मा निकालने की दो तकनीक है

एक सेंट्रीफ्यूज पद्धति, जिसमें एक बार में 220 एमएल तक प्लाज्मा निकल जाता है। एक दूसरा तरीका सेल सेपरेटर तकनीक का है, जिसमें एक व्यक्ति के शरीर से 600 एमएल तक प्लाज्मा मिल जाता है। हमने पहली वाली तकनीक का प्रयोग किया है।

इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में रविवार से प्लाज्मा थैरिपी पर काम शुरू किया है। इससे कोरोना के मरीज का इलाज हो रहा है।

प्रदेश में पहली बार, दिल्ली में हो चुका है सफल प्रयोग

ये है पहले प्लाज्मा डोनर: प्लाज्मा डोनर के रूप में सामने आए दोनों डॉक्टर इंदौर के हैं। यह सभी संक्रमण को मात देने के बाद क्वारेंटाइन पीरियड पूरा कर चुके हैं। जिन मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया जाना है, उनके ब्लड ग्रुप से मिलान कर डॉक्टर इकबाल कुरैशी, डॉक्टर इजहार मोहम्मद मुंशी का प्लाज्मा लिया गया है।

प्लाज्मा थैरेपी- वह सब जो आप जानना चाहते हैं

1. क्या होता है प्लाज्मा?
खून में मुख्यतचार चीजें होती हैं। रेड ब्लड सेल, व्हाइट ब्लड सेल, प्लेटलेट्स व प्लाज्मा। यह प्लाज्मा खून का तरल हिस्सा होता है, जिसके जरिए एंटीबॉडी शरीर में भ्रमण करते हैं। यह एंटीबॉडी संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के खून में मिलकर रोग से लड़ने में मदद करती है। हालांकि इस थैरेपी से कोरोना के मरीज ठीक होने के पुख्ता प्रमाण नहीं है, लेकिन स्वाइन फ्लू जैसे संक्रमण मेंइसका सफल प्रयोग हो चुका है।

2. क्या है यह थैरिपी?
कोरोना से पूरी तरह ठीक हुए लोगों के खून में एंटीबॉडीज बन जाती हैं, जो उसे संक्रमण को मात देने में मदद करती हैं। प्लाज्मा थैरेपी में यही एंटीबॉडीज, प्लाज्मा डोनर यानी संक्रमण को मात दे चुके व्यक्ति के खून से निकालकर संक्रमित व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है। डोनर और संक्रमित का ब्लड ग्रुप एक होना चाहिए। प्लाज्मा चढ़ाने का काम विशेषज्ञों की निगरानी में किया जाता है।

3. कैसे निकालते हैं प्लाज्मा?
कोरोना संक्रमण से ठीक हुआ व्यक्ति भी क्वारैंटाइन पीरियड खत्म होने के बाद प्लाज्मा डोनर बन सकता है। एक डोनर के खून से निकाले गए प्लाज्मा से दो व्यक्तियों का इलाज किया जा सकता है। एक बार में 200 मिलीग्राम प्लाज्मा चढ़ाते हैं। किसी डोनर से प्लाज्मा लेने के बाद माइनस 60 डिग्री पर, 1 साल तक स्टोर किया जा सकता है। दिल्ली में इसी थेरेपी से एक 49 वर्षीय संक्रमित तुलनात्मक रूप से जल्दी ठीक हो गया।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
इंदौर के दोनों डॉक्टर कोरोना से ठीक हो गए हैं। संक्रमण को मात देने के बाद 14 दिन का क्वारैंटाइन पीरियड भी पूरा कर लिया है।।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2y10d0X

Popular posts from this blog

कच्चे क्वार्टर बाजार के बीच से गुजर रहे हैं बिजली के तार, हादसा आगजनी में 1999 में 48 लोगों की हुई थी मौत

शहर का सबसे व्यस्त व भीड़ वाले बाजार कच्चे क्वार्टर के बीच से बिजली के तार गुजर रहे हैं। केबल न होने से हवा चलने पर यह तार आपस में टकरा जाते हैं। जिससे चिंगारी निकलती है। ऐसे में यहां आगजनी होने का खतरा बना रहता है। व्यापारियों व दुकानदारों ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए कई बार मांग कर चुके हैं। लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। जबकि यहां एक बार बड़ी अनहोनी हो चुकी है। 1999 में आगजनी होने पर 48 लाेगों की हुई थी मौत कच्चे क्वार्टर में नवंबर, 1999 में बड़ी आगजनी की घटना हुई थी। आगजनी घटना शार्ट-सर्किट के कारण हुई थी। आग में 48 लोगों की जान गई थी। वहीं सौ से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। एक ही दुकान के अंदर दर्जनों लोगों की जान गंवाई थी। कच्चे क्वार्टर बाजार में 1999 के बाद भीड़ करीब 10 गुणों बढ़ गई है। हर दिन यहां हजारों लोग खरीददारी के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में यहां दुकानों के स्टाल पर लटकते तारों से हादसा होने का अंदेशा है। यहां दिन के समय भी पैदल निकलना भी मुश्किल हो रहा इस क्षेत्र में अतिक्रमण लगातार बढ़ रहा है। जबकि नगर निगम पर इस पर कंट्रोल नहीं है। यहां दिन में पैदल...

2 दिन से एमएसपी पर पीआर धान की नहीं हुई खरीद, सरकारी रिकॉर्ड में 17500 क्विंटल मंडियों में अटका

सरकार और राइस मिलर्स की लड़ाई में किसान पिस रहा है। पीआर धान की सरकारी खरीद कागजों में रविवार से शुरू हो चुकी है लेकिन पूरे जिले में किसी भी मंडी में एक दाने की खरीद अब तक नहीं हुई। मार्केट कमेटी के रिकॉर्ड अनुसार ही 17500 क्विंटल पीआर धान मंडियों में पहुंच चुका है। हालांकि धान इससे कहीं ज्यादा मात्रा में मंडियों में पड़ा है। सोमवार सुबह नई अनाज मंडी में एमएसपी पर धान की खरीद शुरू न होने पर किसानों ने मार्केट कमेटी कार्यालय के बाहर धरना शुरू किया। उसके बाद एसडीएम संजय कुमार किसानों के बीच पहुंचे और उन्हें एमएसपी पर खरीद का आश्वासन दिया। किसानों ने एसडीएम से दो टूक कहा कि वे पहले ही दुखी हैं और अब उन्हें और परेशान नहीं किया जाए। एक दिन का अल्टीमेटम देते हुए किसान बलजीत किच्छाना, गुरनाम सिंह डोहर, फूल सिंह नरड़, संजय ग्योंग, होशियार गिल व राममेहर गिल प्यौदा, तेजिंद्र सिंह अरनौली ने कहा कि अगर सोमवार सायं तक एम एसपी पर खरीद शुरू नहीं हुई तो मंगलवार से किसान कार्यालय के बाहर धरना देंगे और आंदोलन करने को मजबूर होंगे। किसानों को एक-एक क्विंटल धान लाने के मैसेज पर एसडीएम बोले-गलती सुधारी ज...