
माता वैष्णवी धाम के आचार्य पवन शर्मा ने प्रवचन के माध्यम से संदेश देते हुए कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में एक समय ऐसा आता है, जब उसे लगता है कि सब चीजें उसके विरोध में हैं और वह कितना अच्छा क्यों न कर ले, उसके हाथ असफलता ही लगेगी। ऐसे समय में व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचारों का मेला सा उमड़ पड़ता है। ऐसी मनोदशा में व्यक्ति आत्महत्या करने तक कि सोचने लगता है। किंतु आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि ऐसे समय में उस व्यक्ति को कहीं से छोटी सी भी प्रेरणा मिल जाए तो संभव है कि वहीं व्यक्ति भविष्य में ऐसा इतिहास रच दे कि लोक उसकी कामयाबी देख दांतों तले अंगुली दबाने लगे।
आचार्य ने कहा कि जब हम किसी को प्रेरित करते हैं अथवा प्रोत्साहित करते हैं ताे उसका आत्म-सम्मान बढ़ जाता है और इस वजह से व्यक्ति असंभव लगने वाले कार्य को भी संभव कर देता है। असल में हर व्यक्ति की अपनी सीमाएं और क्षमताएं होती हैं, लेकिन कई बार जीवन में विपरीत स्थिति आने पर व्यक्ति को अपनी क्षमताओं पर ही शंका होने लगती है। क्षमता होने के बावजूद उसे अपनी सफलता संदिग्ध नजर आती है। ऐसी स्थिति में यदि उसे प्रेरणा मिले कि वह उस कार्य को सफलता पूर्वक सम्पन्न कर सकता है तो यकीन मानिए कि कार्य पूर्ण सिद्धि के लिए वह अपनी पूरी ताकत लगा देगा।
महाबीर हनुमान को जब रीछपति जाम्बावान ने उनका बल याद दिलाया तो वे पूरा पहाड़ उठा ले आए थे। स्वामी विवेकानंद कहा करते थे। कि अगर तुम ठान लो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। तुम महात्मा बुद्ध बनना चाहोगे तो वही बन जाओगे। कोई व्यक्ति बाहरी कारणों से भी प्रेरित होकर उत्कृष्ट कार्य कर सकता है, लेकिन व्यक्ति की भीतरी प्रेरणा अधिक महत्वपूर्ण होती है।
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