Skip to main content

1857 के विद्रोह में बाबू कुंवर सिंह के साथ मिलकर अंग्रेजों के भी छक्के छुड़ा दिए थे, इस हार से अंग्रेजी हुकूमत में खलबली मच गई थी

गलवान घाटी में 16 बिहार रेजिमेंट के अधिकारी कर्नल संतोष बाबू और भारतीय जवानों की शहादत की खबर से दानापुर छावनी थोड़ी देर के लिए सकते में तो आई मगर जल्द ही अपने स्लोगन ‘कर्म ही धर्म है’ की ताकत से अपने गम को गर्व में तब्दील करने लगी। कौन, कहां का, कितना, इन सबके बीच आपसी बतकही की यह लाइन ज्यादा मजबूत हो गई कि ‘बिहार रेजिमेंट के वीर कभी अपनी जान की परवाह नहीं करते; देश पर कुर्बान होना उनके खून में है।’

कई युद्धों में अहम भूमिका

1944 में जापानी सेना के भारत के पूर्वी तट पर आक्रमण का सामना करने के लिए 1 बिहार रेजिमेंट को लुशाई ब्रिगेड में शामिल कर इम्फाल भेजा गया। सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए हाका और गैंगा पहाड़ियों को जापानी सैनिकों के कब्जे से मुक्त कराया। इसकी याद में दानापुर स्थित बिहार रेजिमेंटल सेंटर में हाका और गैंगा द्वार बना हुआ है।

1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में रेजीमेंट के सैनिकों ने वीरता दिखाई। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान बिहार रेजीमेंट की पहली बटालियन ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुये अतिदुर्गम परिस्थितियों में बटालिक सेक्टर में दुश्मनों के कब्जे से पोस्टों को मुक्त कराया। प्वाइंट 4268 और जुबेर ओपी पर पुनः कब्जा जमाया।

युद्ध के दौरान प्रथम बिहार के एक अधिकारी और आठ जवान शहीद हुए। प्रथम बिहार को बैटल ऑनर बटालिक तथा थिएटर ऑनर कारगिल का सम्मान दिया गया।

बिहार रेजिमेंट को मिले पदक

मिलिट्री क्रॉस (स्वतंत्रता पूर्व)- 6, अशोक चक्र 3, महावीर चक्र - 2, कीर्ति चक्र - 13, वीर चक्र - 15, शौर्य चक्र - 45

1758 में शुरू हुई थी योद्धाओं की वीर गाथा

15 सितम्बर 1941 को 11वीं और 19वीं हैदराबाद रेजिमेंट को मिलाकर जमशेदपुर में बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन बनी। युद्ध का नारा-’बजरंग बली की जय।’ आगरा में 1 दिसम्बर 1942 को बिहार रेजिमेंट की दूसरीबटालियन बनी। 1945 में आगरा में बिहार रेजिमेंटल सेंटर स्थापित किया गया।

2 मार्च 1949 को बिहार रेजिमेंटल सेंटर और प्रशिक्षण केंद्र को दानापुर मे स्थानांतरित किया गया। हालांकि, बिहार रेजिमेंट के योद्धाओं की वीरगाथा 1758 में ही शुरू हुई थी। अप्रैल 1758 में तीसरी बटालियन की पटना में हुई स्थापना के बाद से बिहार के जवानों ने अपनी वीरता की कहानी लिखनी शुरू कर दी थी।

कैप्टन टर्नर इस बटालियन की कमान संभालने वाले पहले अधिकारी थे। अंग्रेजों के कब्जे के बाद जून 1763 में मीर कासिम ने पटना पर हमला बोला। बिहारी रेजिमेंट की तीसरी बटालियन के चंद सैनिकों ने मीर कासिम की विशाल सेना को पीछे धकेल दिया। अंग्रेजी सेना द्वारा मदद नहीं मिलने के चलते मीर कासिम की सेना विजयी रही।

अंग्रेजों की तीन बटालियन समाप्त हो गई। बंगाल, बिहार और ओडिशापुनः राज्य स्थापित करने के लिए बिहारी सैनिकों को लेकर अंग्रेजों ने 6 ठी, 8 वीं और 9 वीं बटालियन बनाई। इन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से पहले की कई लड़ाइयों में अपनी वीरता का लोहा मनवाया।

बाबू कुंवर सिंह का साथ दिया
जुलाई 1857 में दानापुर स्थित 7वीं और 8वीं रेजिमेंट के सैनिकों ने विद्रोह का बिगुल फूंकते हुए अंग्रेजों पर गोलियां बरसायीं। हथियार और ध्वज लेकर सैनिक जगदीशपुर चले आये और बाबू कुंवर सिंह के साथ शामिल हो गए। इन सैनिकों के साथ मिलकर बाबू कुंवर सिंह ने आरा पर आक्रमण कर दिया। अंग्रेजों की सेना को शिकस्त दे आरा पर कब्जा कर लिया।

इस हार से अंग्रेजी हुकूमत में खलबली मच गयी। हालाँकि युद्ध के दौरान लगी गोलियों के घाव से बाबू कुंवर सिंह की मृत्यु हो गई। बिहारी सैनिकों के शौर्य से अंग्रेज इतने डर गए की 12 को छोड़ कर सभी यूनिटें भंग कर दी। 1941 तक अंग्रेज बिहारी सैनिकों को लेकर एक भी बटालियन बनाने की हिम्मत नहीं जुटा सके थे।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान बिहार रेजीमेंट की पहली बटालियन ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुये अतिदुर्गम परिस्थितियों में बटालिक सेक्टर में दुश्मनों के कब्जे से पोस्टों को मुक्त कराया। -फाइल फोटो


from Dainik Bhaskar /national/news/the-bihar-regiment-has-a-262-year-old-history-the-british-along-with-babu-kunwar-singh-had-rescued-sixes-in-the-revolt-of-1857-127421701.html

Popular posts from this blog

फेसबुक पर दोस्ती कर विधवा से किया गैंगरेप, जन्मदिन की पार्टी देने के लिए घर से बाहर ‌बुलाया

किला थाना क्षेत्र में शुक्रवार को फेसबुक पर दोस्ती कर गैंगरेप का मामला सामने आया। पीड़िता के साथ 6 महीने पहले दोस्ती कर आरोपी ने जाल में फंसा लिया। फिर दोस्त कि डेयरी में ले जाकर दोस्त के साथ दुष्कर्म किया। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। 26 वर्षीय महिला ने बताया कि उसकी 10 साल पहले शादी हुई थी। शादी के दो साल बाद ही पति की मौत हो गई। मौत के बाद वह मायके में आकर रहने लगी। 6 महीने उसकी पहलवान चौक कुटानी रोड के सोनू के साथ फेसबुक पर बातचीत शुरू हुई थी। उसने बातों में फंसा लिया। 25 अगस्त की रात 9 बजे सोनू ने उसे जन्मदिन की पार्टी देने के लिए घर से बाहर ‌बुलाया। वह घर से बाहर आई तो वह अपनी एक्टिवा पर बैठाकर पहलवान चौक के पास बनी महालक्ष्मी डेयरी में ले गया। जिसका संचालक विकास है। सोनू उसे अंदर ले गया और को‌ल्ड ड्रिंक पिला दी। इस बीच विकास भी वहां आ गया। वह बेेहोश हो गई। वहीं रात करीब साढ़े 11 बजे होश आया तो उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे। महिला का आरोप है कि फेसबुक मित्र सोनू व सोनू ने दोस्त विकास के साथ मिलकर दुष्कर्म किया है। किला पुलिस का कहना है कि आरोपी की तलाश जारी है। Download D

कोसली विधायक ने गिनाए एक साल के काम, बोले- नपा भी जल्द बनेगी

कोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने प्रदेश सरकार के एक साल पूरा करने के उपलक्ष्य में कोसली विधानसभा क्षेत्र में हुए विकास कार्य गिनवाए। विधायक लक्ष्मण यादव मंगलवार को बाईपास स्थित जिला भाजपा कार्यालय पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उनके साथ जिलाध्यक्ष मा. हुकमचंद सहित अन्य पदाधिकारी भी थे। विधायक ने कहा कि कोसली विधानसभा क्षेत्र में एक साल के दौरान 110 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन हुए हैं तथा कुछ का कार्य गतिमान हैं। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल के 8 माह संकट का समय रहा। उस समय परियोजनाओं से ज्यादा जीवन का सवाल था। कहा कि कोरोना संकट के समय कोसली क्षेत्र के लोगों ने 21 लाख रुपए की राशि आपदा कोष में जमा करवाकर सराहनीय कार्य किया। उन्होंने बताया कि कोसली-भाकली के बीच विवाद सुलझा रहे हैं। क्षेत्र में जल्द नगर पालिका बनने की उम्मीद है। बरोदा चुनाव में भाजपा की जीत का दाव किया। विधायक ने कहा कि कृष्णावती नदी की छंटाई लिए टैंडर हो गए हैं। खोल क्षेत्र में भूमिगत जलस्तर काफी नीचे चला गया है। जलस्तर को ऊपर उठाने के लिए कृष्णावती नदी पानी रिचार्ज करने का काम पूरा क

कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ी, 4 माह में जिले के लोग पी गए 2 लाख काढ़ा पाउच, 80 हजार खाई गिलोय की गोली

कोरोनाकाल में कोरोना संक्रमण से बचाव व उपचार के लिए लोगों का एलोपैथी दवाओं की बजाय आयुर्वेदिक दवाओं पर ज्यादा भरोसा बढ़ा है। आयुष विभाग में आए काढ़ा पाउच की लगातार डिमांड बढ़ रही है। जून से लेकर अब तक जिले में 2 लाख काढ़ा पाउच को उबालकर लाेग पी चुके हैं। इसी तरह से गुडुची घनवटी (गिलोय की गोली) की भी खपत जो पहले नाममात्र की होती थी अब काफी बढ़ चुकी है। 80 हजार गिलोय गोली को लोग अब तक आयुष विभाग से ले जा चुके हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए आयुष विभाग ने इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर विभिन्न जड़ी बूटियों से तैयार काढ़ा पाउच तैयार कर जून माह में प्रदेश भर के जिलों में भेजा था। जिस समय काढ़ा पाउच की सप्लाई भेजी गई थी। उस दौरान भीषण गर्मी थी। लेकिन लोगों ने इसकी परवाह न करते हुए कोरोना संक्रमण से बचने के लिए आयुष विभाग से खूब काढ़ा पाउच लेकर गए। इसी तरह से गिलोय गोली भी लोगों द्वारा खूब ली गई। शुरुआत में घर-घर जाकर बांटे गए थे काढ़ा पाउच : जून में जब पहली बार आयुष विभाग का काढ़ा आया तो अधिकारियों व कर्मचारियों ने घर-घर जाकर, दफ्तरों में काढ़ा पाउच लोगों को बांटे। अब बदले मौसम में और बढ़