Skip to main content

कोरोना हो या सीमा, हम सिर्फ बोलते हैं, करते कुछ नहीं; गोलियां, बंदूकें और एटम चलाने से पहले यह ख़त पढ़ लीजिए...

बारिश सिर पर है और कोरोना दम नहीं ले रहा। जाने किसके पैरों के गीलेपन में वायरस मेरे या आपके घर आ जाए, कोई नहीं जानता। जाने किसके घर का परनाला गिरे और आपके घर को वायरस दे जाए, कोई नहीं जानता। सरकारें, चाहे वो केन्द्र की हो या किसी राज्य की, किसी को किसी की नहीं पड़ी। वे या तो बिहार जैसे किसी राज्य के चुनाव की तैयारी में व्यस्त हैं या किसी राज्य में बड़े पैमाने पर होने वाले उपचुनावों को जीतने की जुगत में।

कोरोना है कि मानता नहीं। वो अब शहरों से निकल कर गांवों का रुख़ कर रहा है। जब देशभर में दस-पचास मरीज़ थे, तब सरकारों ने सख्त लॉकडाउन लागू किया और जब फैल गया तो लॉकडाउन को मार दिया। महीनों से शहरों में फंसे लोग ट्रेनों से गांव पहुंचने लगे और उनके साथ कोरोना को भी धीरे-धीरे गांव अच्छा लगने लगा।

उधर सरकारें अपनी वाहवाही के गर्त में इस कदर डूबी हुई हैं कि कभी वे टेस्ट की संख्या बढ़ाकर कोरोना की विकरालता बतातीं हैं तो कभी टेस्ट कम करके कोरोना पर क़ाबू पाने का तमगा लेना चाहती हैं। आधिकारिक तौर पर तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह सोलह आने सच है कि कोरोना से मरे लोगों की संख्या से ज़्यादा मौतें उन लोगों की है जो मरे तो कोरोना से ही हैं लेकिन किसी सरकार, किसी एजेंसी या डॉक्टर ने उनकी जांच ही नहीं की। न मरने से पहले, न मरने के बाद। यह सब भारत में ही हो सकता है। हो भी रहा है।

निश्चित तौर पर कभी धूल न देखने और छह-सात दिन तक फ्रिज में रखा खाना खाने वाले अमरीकन लोगों से हमारी इम्युनिटी बहुत स्ट्रांग है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि हमारे द्वारा चुनी हुई सरकारें ही हमारी सांसों की परीक्षा ले? बेचारे मोदी जी! पहले पहले खूब टीवी पर आए। राष्ट्र के नाम संदेश दिए। अब ग़ायब हो गए।

वे समझे थे कोरोना कोई चुनावी झुनझुना है जो आयाराम- गयाराम की तरह थोड़े दिन में काफ़ूर हो जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऊपर से कोढ़ में खाज ये कि अंतरराष्ट्रीय मसीहा के रूप में उभरने का दिवा स्वप्न देखते देखते उन पर तमाम पड़ोसियों ने बंदूकें तान दीं जो हमसे ख़ौफ़ खाया करते थे।

नेपाल ने ऐसा नक़्शा बनाकर पास कर लिया जिससे हमारी मानसरोवर यात्रा में बाधा आ सकती है। पाकिस्तान आंख पहले से ही दिखा रहा है और चीन जो दुनिया में कोरोना का अपराधी बना हुआ है, हमारे सैनिकों को मारकर मीर बनने में जुट गया है।

मोदी जी मनमोहन बने हुए हैं। बहुत दिनों से कुछ बोले तक नहीं। क्यों? चीन अमरीका की तरह ही व्यापारी देश है। वह हमें भय दिखाकर हमारे बाज़ार पर क़ब्ज़ा बनाए रखना चाहता है। हम आत्मनिर्भरता का कोरा नारा देकर दुबके हुए हैं। सिर्फ बोलते हैं। करते कुछ नहीं।

सस्ते चीनी सामान को खरीदने से चूकना नहीं चाहते। चीन सीमा पर हमें धमका कर अपना बाज़ार बनाए रखना चाहता है और कुछ नहीं। कुछ भी नहीं। लेकिन बाज़ार के लिए ये बंदूक़ें, ये झगड़े और झड़पें क्यों? याद आती हैं अमृता प्रीतम...

हुक्मरानो, दोस्तो!
गोलियां, बंदूकें और एटम चलाने से पहले
यह ख़त पढ़ लीजिए
साइन्सदानो, दोस्तो!
गोलियां, बंदूक़ें और ऐटम चलाने से पहले
यह ख़त पढ़ लीजिए,
सितारों के अक्षर और किरनों की भाषा
अगर पढ़नी नहीं आती,
किसी आशिक- अदीब से पढ़वा लो
अपने किसी महबूब से पढ़वा लो।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3d9ttRO

Popular posts from this blog

सीएसई रिपोर्ट:स्मॉग केवल दिल्ली-एनसीआर में ही नहीं, गंगा के मैदानों तक फैल चुका; 56 शहरों में वाहन-औद्योगिक प्रदूषण व पराली जलाने से खराब हाल

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/3EwCu4O

कच्चे क्वार्टर बाजार के बीच से गुजर रहे हैं बिजली के तार, हादसा आगजनी में 1999 में 48 लोगों की हुई थी मौत

शहर का सबसे व्यस्त व भीड़ वाले बाजार कच्चे क्वार्टर के बीच से बिजली के तार गुजर रहे हैं। केबल न होने से हवा चलने पर यह तार आपस में टकरा जाते हैं। जिससे चिंगारी निकलती है। ऐसे में यहां आगजनी होने का खतरा बना रहता है। व्यापारियों व दुकानदारों ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए कई बार मांग कर चुके हैं। लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। जबकि यहां एक बार बड़ी अनहोनी हो चुकी है। 1999 में आगजनी होने पर 48 लाेगों की हुई थी मौत कच्चे क्वार्टर में नवंबर, 1999 में बड़ी आगजनी की घटना हुई थी। आगजनी घटना शार्ट-सर्किट के कारण हुई थी। आग में 48 लोगों की जान गई थी। वहीं सौ से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। एक ही दुकान के अंदर दर्जनों लोगों की जान गंवाई थी। कच्चे क्वार्टर बाजार में 1999 के बाद भीड़ करीब 10 गुणों बढ़ गई है। हर दिन यहां हजारों लोग खरीददारी के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में यहां दुकानों के स्टाल पर लटकते तारों से हादसा होने का अंदेशा है। यहां दिन के समय भी पैदल निकलना भी मुश्किल हो रहा इस क्षेत्र में अतिक्रमण लगातार बढ़ रहा है। जबकि नगर निगम पर इस पर कंट्रोल नहीं है। यहां दिन में पैदल...

फेसबुक पर दोस्ती कर विधवा से किया गैंगरेप, जन्मदिन की पार्टी देने के लिए घर से बाहर ‌बुलाया

किला थाना क्षेत्र में शुक्रवार को फेसबुक पर दोस्ती कर गैंगरेप का मामला सामने आया। पीड़िता के साथ 6 महीने पहले दोस्ती कर आरोपी ने जाल में फंसा लिया। फिर दोस्त कि डेयरी में ले जाकर दोस्त के साथ दुष्कर्म किया। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। 26 वर्षीय महिला ने बताया कि उसकी 10 साल पहले शादी हुई थी। शादी के दो साल बाद ही पति की मौत हो गई। मौत के बाद वह मायके में आकर रहने लगी। 6 महीने उसकी पहलवान चौक कुटानी रोड के सोनू के साथ फेसबुक पर बातचीत शुरू हुई थी। उसने बातों में फंसा लिया। 25 अगस्त की रात 9 बजे सोनू ने उसे जन्मदिन की पार्टी देने के लिए घर से बाहर ‌बुलाया। वह घर से बाहर आई तो वह अपनी एक्टिवा पर बैठाकर पहलवान चौक के पास बनी महालक्ष्मी डेयरी में ले गया। जिसका संचालक विकास है। सोनू उसे अंदर ले गया और को‌ल्ड ड्रिंक पिला दी। इस बीच विकास भी वहां आ गया। वह बेेहोश हो गई। वहीं रात करीब साढ़े 11 बजे होश आया तो उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे। महिला का आरोप है कि फेसबुक मित्र सोनू व सोनू ने दोस्त विकास के साथ मिलकर दुष्कर्म किया है। किला पुलिस का कहना है कि आरोपी की तलाश जारी है। Download D...