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पाकस्मा में विभाग नहीं लगा सका मोटर, पंचायत ने 50 लाख रुपए खर्चे, फिर भी जलघर के टैंक सूखे

करीब 7 हजार की आबादी वाले गांव पाकस्मा में पीने की पानी की किल्लत बनी हुई है। जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से बनाए गए वाटर टैंक भी सूखे पड़े हैं। तो वहीं जिस पाकस्मा माइनर से वाटर टैंकों में पानी पहुंचता है, उसमें भी सप्लाई नाम मात्र की आ रही है। हालांकि सरपंच मुकेश राणा का दावा है कि पानी की किल्लत दूर करने के लिए पंचायत फंड से करीब 50 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसमें गांव बलियाणा स्थित भालौठ माइनर से पंचायत की ओर से करीब 20 लाख रुपए की पाइप लाइन दबवाई गई है। लेकिन गांव के 17 वार्डों में से 10 में पीने के पानी की समस्या जस की तस बनी हुई हैं। वार्ड एक से 10 के ग्रामीणों को पीने का स्वच्छ जल नहीं मिल रहा है। जबकि 11 से 17 में पीने के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था पंचायत की ओर से बनाई गई है।

30 लाख रुपए खर्च कर बनाया बूस्टर, 1 साल से मोटर नहीं लगाई
गांव की आबादी को सुचारू व निर्बाध पानी की सप्लाई देने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से करीब 30 लाख रुपए की लागत से बूस्टर बनाया गया। लेकिन अभी तक इसको चालू नहीं किया गया है। सरपंच मुकेश ने बताया कि बूस्टर में बिजली की मोटर नहीं लगाई गई। जिसको लेकर वह एक साल से विभाग के लगातार चक्कर लगा रहे हैं। वह समस्या को लगातार विभाग के पास मौखिक, लिखित व फोन के माध्यम से दे रहे हैं।

पानी की सप्लाई कम आने से आ रही समस्या
जन स्वास्थ्य विभाग के जेई सुरेंद्र का कहना है कि पीछे से नहर में पानी की सप्लाई कम आती है। जिस कारण वाटर टैंकों में पूरा पानी स्टोर नहीं हो पाता। हालांकि ग्रामीणों को पीने का पर्याप्त पानी मिलता रहे, इसके के लिए विभाग की तरफ से 3 ट्यूबवेल लगाए गए हैं। दो ट्यूबवेल फिलहाल चालू हालत में हैं। वहीं नहरी विभाग से भी पाकस्मा माइनर में ज्यादा पानी छोड़ने के लिए कहा गया है। बूस्टर को भी जल्द चालू कर दिया जाएगा।

सेक्टर में 5वें दिन पेयजल आपूर्ति बहाल, जलघर की बदली खराब मोटर
सेक्टर्स में चल रहे पेयजल संकट का मंगलवार शाम को पांचवें दिन समाधान हो गया। यहां की लगभग 22000 आबादी वाले इलाके को व्यवस्थित जलापूर्ति हुडा विभाग के जलघर से शुरू कर दी गई। गर्मी के प्रकोप के बीच सेक्टरवासियों ने पर्याप्त पानी मिलने से राहत की सांस ली है। गत शुक्रवार को सेक्टर-1 स्थित जलघर की 45 एचपी की अंतिम मोटर खराब हो जाने के बाद पेयजल आपूर्ति बाधित हो गई थी। मात्र 75 एचपी की एक ही मोटर के जरिए सेक्टर में पीने के पानी की सप्लाई हो रही थी।

शिकायत करने के बाद भी जब समस्या का समाधान नहीं हुआ तो सेक्टर वासियों ने रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अगुवाई में हुडा के दफ्तर के सामने प्रदर्शन भी किया था। समाधान नहीं होने पर सोनीपत रोड को जाम करने की चेतावनी दी थी। संपदा अधिकारी की पहल पर जलघर की खराब मोटर बदलने की प्रक्रिया शुरू की गई। आपूर्ति व्यवस्थित होने पर पार्षद कदम सिंह अहलावत, डॉ मनमोहन, केके खीरवाट, वीरेंद्र दलाल, एमएन श्योराण ने बताया कि मोटर चलने से प्रभावित इलाकों में शाम से पीने के पानी की व्यवस्था दुरुस्त हो गई है।



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सरपंच मुकेश राणा का कहना है कि जन स्वास्थ्य विभाग लगातार समस्या की अनदेखी कर रहा है। एक साल बूस्टर बने हो चुका है। लेकिन अभी तक वह भी चालू नहीं हुआ।


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