कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल अभी बंद है। बेशक बच्चे स्कूल में नहीं जा रहे हो, पर स्टाफ ने जाना शुरू कर दिया है। इस बार नए शैक्षणिक सत्र के लिए दाखिले भी देरी से शुरू हुए हैं, क्योंकि वायरस की वजह से लॉकडाउन था। अब की बार सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों के विद्यार्थी दाखिला लेने के लिए ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। अभिभावक भी अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूल में ना कराकर सरकारी स्कूल में कराना चाहते हैं, लेकिन निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा एसएलसी देने में आनकानी करने से ऑनलाइन दाखिले में परेशानी आ रही है।
इसकी शिकायत शिक्षा निदेशालय से भी की गई। इस मामले पर संज्ञान लेकर निदेशालय ने अभिभावकों और विद्यार्थियों की समस्या को खत्म कर दिया। अब विद्यार्थी को अपने वर्तमान स्कूल में एसएलसी लेने के लिए जाने की जरूरत नहीं है, इस बारे में निजी स्कूल को सूचना सरकारी स्कूल का प्रबंधन देगा। निजी स्कूल को 15 दिन के अंदर ऑनलाइन एसएलसी देना होगा। अगर निजी स्कूल ने ऑनलाइन एसएलसी देने में आनाकानी दी तो विभाग उसे खुद ही जारी किया एसएलसी का दस्तावेज मान लेगा।
शिक्षा के आधार का दिया विभाग ने हवाला
शिक्षा निदेशालय की ओर से स्पष्ट कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से किसी विद्यार्थी की औपचारिक शिक्षा पर नकारात्मक रूप से कोई प्रभाव नहीं पढ़ना चाहिए। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 की अनुपालना के तहत विद्यार्थी अपनी इच्छा से किसी भी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर सकता है।
एमआईएस पोर्टल पर देना है नए दाखिले का रिकॉर्ड
शिक्षाविभाग की ओर से स्कूल मुखियाओं को यह जिम्मेदारी दी गई है कि सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने पर जोर दे। इस बारे में शिक्षकों और स्कूलों के प्राचार्यों ने विभाग को बताया कि निजी स्कूलों के विद्यार्थी सरकारी स्कूल में दाखिला लेना चाहते हैं, पर छात्र का एसएलसी नहीं होने से एमआईएस पोर्टल पर दाखिला करने में परेशानी आ रही है। नए दाखिले का रिकॉर्ड एमआईएस पोर्टल पर ही देना है। इसलिए बिना एसएलसी से प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है।
पिछले स्कूल को दाखिले की सूचना देकर एसएलसी मांगेगा सरकारी स्कूल
डॉ. विजय लक्ष्मी, कार्यवाहक डीईओ, रोहतक ने कहा किसरकारी स्कूलों में दाखिला लेने के इच्छुक निजी स्कूलों के विद्यार्थियों को एसएलसी देने में काफी समस्या आ रही थी, पर अब इसका समाधान भी कर दिया है। अगर निजी स्कूल ने विद्यार्थी का 15 दिनों में ऑनलाइन एसएलसी का दस्तावेज जारी नहीं किया तो विभाग उसे खुद ही जारी किया हुआ मान लेगा। सरकारी स्कूल की ओर से ही विद्यार्थी के पिछले स्कूल को उसके दाखिले की लिखित सूचना भेजकर एसएलसी देने को कहा जाएगा।
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