Skip to main content

काेविड-19 पर खर्च बढ़ा तो शहर के जलघर टैंकों की सफाई पर निगम ने किए हाथ खड़े

शहर स्वच्छ व निर्बाध पेयजल की आपूर्ति के दावों के उलट अगले कुछ दिनों में शहरवासियों को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल नगर निगम ने शहर के जलघरों के टैंकों की डी सिल्टिंग कराने से हाथ खड़े कर दिए हैं। निगम ओर से मंगलवार तक लिखित में पत्र पब्लिक हेल्थ विभाग को सौंपा जाएगा। निगम के इस फैसले को बजट की कमी होने की वजह बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि अब पब्लिक हेल्थ विभाग इस प्रोजेक्ट का पूरा करेगा।

चंडीगढ़ से पानी व सीवरेज की समस्याओं की पड़ताल के लिए रोहतक आई चीफ इंजीनियर की टीम व विधायक बीबी बतरा के साथ हुई बैठक में जलघरों के टैंकों की सफाई का मुद्दा उठाया गया था। इस पर पब्लिक हेल्थ विभाग के चीफ इंजीनियर देवेंद्र दहिया ने बताया कि नगर निगम की ओर से मौखिक बताया गया है कि वे फंड की कमी की वजह से जलघरों के टैंकों की सफाई नहीं करवा सकेंगे। ऐसे में पब्लिक हेल्थ विभाग स्वयं इस काम को संभाले। उन्होंने कहा कि यदि नगर निगम लिखित में उनको वाटरवर्क्स के टैंकों की डी सिल्टिंग नहीं करवा पाने संबंधित लेटर देगा तो वे इसे टेकओवर करते हुए प्राथमिकता पर रखते हुए टैंकों की सफाई कराएंगे।

कोरोना में फंड लगने को निगम बता रहा वजह

शहर के पांच जलघरों से गाद निकालने का प्रोजेक्ट नगर निगम ने इस साल के शुरू में आरंभ कर दिया था। 14 करोड़ रुपए के करीब इस प्रोजेक्ट के लिए नगर निगम को मंजूर हुए थे। प्रोजेक्ट के पहले फेज में एक जलघर से गाद निकालने का काम टेंडर लेने वाली फर्म की ओर से पूरा कर दिया गया था। लेकिन इसकी पेमेंट न होने पर दूसरे जलघरों में सफाई तक ये प्रोजेक्ट नहीं बढ़ पाया। निगम ने बजट कम होने का हवाला दे ठेकेदार को ग्रांट न होने की बात बता दी थी। निगम अधिकारियों का कहना है कि प्रोजेक्ट के पहले चरण में ही कोरोना काल शुरू हो गया था। कोविड 19 में निगम के मद ज्यादा व्यय होने लगे तो इन प्रोजेक्ट को रोक दिया गया।

टैंकों की जल भंडारण क्षमता 30 प्रतिशत घटी

शहर के अंतर्गत जलघरों के टैंकों की सफाई वर्षों से नहीं कराए जाने के चलते शहरवासियों को पर्याप्त पीने का पानी उपलब्ध कराने में मुश्किल आ रही है। सिल्ट जमा होने से टैंकों में 30 प्रतिशत रा वाटर भंडारण की क्षमता घट गई है। ऐसे में सभी जलघरों के टैंकों की डी सिल्टिंग का कार्य जरूरी है।

शहर के जलघरों के टैंकों की सफाई के लिए 14 करोड़ रुपए वाटर वर्क्स की सफाई के लिए मंजूर हुए थे, इसमें सिर्फ सोनीपत रोड वाटर वर्क्स की ही सफाई हुई है, बाकी सफाई के लिए अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने हाथ खड़े कर दिए हैं। इसका तुरंत समाधान होना चाहिए और सभी वाटर वर्क्स जो इस शहर में है, उनकी जल्द से जल्द सफाई होनी चाहिए। आवश्यकता के मुताबिक बूस्टर लगाकर वाटर सप्लाई निर्बाध कराई जाए।
-बीबी बतरा, विधायक रोहतक।

जब पब्लिक हेल्थ विभाग के पास फंड की कमी थी तो नगर निगम की ओर से शहर के जलघरों की डी सिल्टिंग का प्रोजेक्ट लिया गया था। कोविड-19 के चलते फंड की उपलब्धता की कमी है। ऐसे में हम मंगलवार तक लिखित में पब्लिक हेल्थ विभाग को दे देंगे कि वे बाकी बचे जलघरों के टैंकों की सफाई खुद ही कराएं। सोनीपत रोड स्थित प्रथम जलघर के टैंकों की सफाई व मरम्मत का कार्य हो गया है। अभी तक इसका 2.99 करोड़ के बकाए का पेमेंट नहीं हुआ है। -प्रदीप गोदारा, कमिश्नर नगर निगम।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
-फोटो सुमित कुमार


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3hNkzMQ

Popular posts from this blog

कच्चे क्वार्टर बाजार के बीच से गुजर रहे हैं बिजली के तार, हादसा आगजनी में 1999 में 48 लोगों की हुई थी मौत

शहर का सबसे व्यस्त व भीड़ वाले बाजार कच्चे क्वार्टर के बीच से बिजली के तार गुजर रहे हैं। केबल न होने से हवा चलने पर यह तार आपस में टकरा जाते हैं। जिससे चिंगारी निकलती है। ऐसे में यहां आगजनी होने का खतरा बना रहता है। व्यापारियों व दुकानदारों ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए कई बार मांग कर चुके हैं। लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। जबकि यहां एक बार बड़ी अनहोनी हो चुकी है। 1999 में आगजनी होने पर 48 लाेगों की हुई थी मौत कच्चे क्वार्टर में नवंबर, 1999 में बड़ी आगजनी की घटना हुई थी। आगजनी घटना शार्ट-सर्किट के कारण हुई थी। आग में 48 लोगों की जान गई थी। वहीं सौ से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। एक ही दुकान के अंदर दर्जनों लोगों की जान गंवाई थी। कच्चे क्वार्टर बाजार में 1999 के बाद भीड़ करीब 10 गुणों बढ़ गई है। हर दिन यहां हजारों लोग खरीददारी के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में यहां दुकानों के स्टाल पर लटकते तारों से हादसा होने का अंदेशा है। यहां दिन के समय भी पैदल निकलना भी मुश्किल हो रहा इस क्षेत्र में अतिक्रमण लगातार बढ़ रहा है। जबकि नगर निगम पर इस पर कंट्रोल नहीं है। यहां दिन में पैदल...

2 दिन से एमएसपी पर पीआर धान की नहीं हुई खरीद, सरकारी रिकॉर्ड में 17500 क्विंटल मंडियों में अटका

सरकार और राइस मिलर्स की लड़ाई में किसान पिस रहा है। पीआर धान की सरकारी खरीद कागजों में रविवार से शुरू हो चुकी है लेकिन पूरे जिले में किसी भी मंडी में एक दाने की खरीद अब तक नहीं हुई। मार्केट कमेटी के रिकॉर्ड अनुसार ही 17500 क्विंटल पीआर धान मंडियों में पहुंच चुका है। हालांकि धान इससे कहीं ज्यादा मात्रा में मंडियों में पड़ा है। सोमवार सुबह नई अनाज मंडी में एमएसपी पर धान की खरीद शुरू न होने पर किसानों ने मार्केट कमेटी कार्यालय के बाहर धरना शुरू किया। उसके बाद एसडीएम संजय कुमार किसानों के बीच पहुंचे और उन्हें एमएसपी पर खरीद का आश्वासन दिया। किसानों ने एसडीएम से दो टूक कहा कि वे पहले ही दुखी हैं और अब उन्हें और परेशान नहीं किया जाए। एक दिन का अल्टीमेटम देते हुए किसान बलजीत किच्छाना, गुरनाम सिंह डोहर, फूल सिंह नरड़, संजय ग्योंग, होशियार गिल व राममेहर गिल प्यौदा, तेजिंद्र सिंह अरनौली ने कहा कि अगर सोमवार सायं तक एम एसपी पर खरीद शुरू नहीं हुई तो मंगलवार से किसान कार्यालय के बाहर धरना देंगे और आंदोलन करने को मजबूर होंगे। किसानों को एक-एक क्विंटल धान लाने के मैसेज पर एसडीएम बोले-गलती सुधारी ज...