
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए सुबह प्रशासन ने दोबारा कर्णलेक पर बैरिकेड लगाकर जीटी रोड को बंद कर दिया। सारा दिन वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। इस दौरान दूल्हे और बारातियों को भी गाड़ियां खड़ी कर पैदल जाना पड़ा। ट्रैफिक वाया इंद्री और लाडवा निकाला गया। शाम को प्रशासन ने बैरिकेड हटाकर रास्ता खोल दिया।
जिला प्रशासन ने सुबह 10 बजे कर्ण लेक पर पत्थर, कंक्रीट जाली, लोहे के बेरिकेड्स लगाए। जिला प्रशासन की ओर से किसानों को राेकने के लिए पूरे इंतजाम किए गए थे, बजरी और रेत से भरे 20 ट्रकों खड़ा किया गया। कंटीली तार और बेल भी लगाई गई, ताकि किसान नाका न तोड़ सकें। सारा दिन वाहन चालक परेशान रहे। शहर में कई बार जाम जैसी स्थिति बनी। इंद्री रोड पर और निर्मल कुटिया से लेकर नए बस अड्डे तक कई बार जाम लगा।
तीन दिन से ड्यूटी दे रहे पुलिस जवानों को मिली राहत
किसानों के दिल्ली के कूच को रोकने के लिए तीन दिनों से पुलिस के 400 जवानों की कर्णलेक पर ड्यूटी लगी थी। जवान दिन रात ड्यूटी दे रहे थे। अब नाका खुलने के बाद पुलिस के जवानों को भी बड़ी राहत मिली है।
किसान जीटी रोड से ही जाने के लिए अड़े तो 15 मिनट बाद नाका खोल दिया
जिला प्रशासन के पास पंजाब से ज्यादा किसान आने की सूचना थी। इसी कारण प्रशासन ने बड़े स्तर पर तैयारी की थी। लेकिन दिन में शंभु बार्डर पर कम ही किसान पहुंचे। इसके बाद प्रशासन ने भी अपनी रणनीति बदल दी। शाम को डीसी निशांत कुमार यादव और एसपी गंगाराम पुनिया ने फोर्स को नाका हटाने के आदेश दिए। इसी दौरान पंजाब से करीब 150 किसानों का जत्था वहां पर पहुंच गया। प्रशासन ने किसानों को सर्विस रोड से जाने के लिए बोला। लेकिन किसान जीटी रोड से ही जाने के लिए अड़ गए। इसके बाद 15 मिनट बाद प्रशासन ने नाका खोल दिया और किसानों का जत्था वहां से निकल गया। शाम को ट्रैफिक व्यवस्था भी सुचारू हो गई थी।
बारात को सालवन से जाना था उचाना
कर्ण लेक के आस-पास हाईवे पर नाका लगने से ग्रामीणों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ा। सालवन से उचाना बारात आई थी। लेकिन उचाना गांव के पास ही नाका लगाया हुआ था। बारातियों ने कर्ण लेक के पास गाड़ियां खड़ी कर वहां से साथ लगते गांव में पैदल ही गए। दूल्हे ने भी पैदल ही नाका पार किया। कर्ण लेक के पास पार्क अस्पतालों के मरीजाें काे परेशानी हुई। मरीजों को नाका पार कर जाना पड़ा। एक जच्चा को भी पैदल ही वहां से निकल नाके से आगे गाड़ी में बैठना पड़ा। घरौंडा की अंजु अपने पिता को पार्क अस्पताल में दवाई दिलवाने लाई थी, उसने भी अपने पिता को पैदल ही नाका पार कराया।
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