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नई गाइडलाइन जारी नहीं होने से 8 हजार किसानों की बाजरा खरीद अधर में लटकी

उपमंडल क्षेत्र की मंडी व तीन खरीद केन्द्रों पर निर्धारित किए गए 27 नवंबर तक खरीद शेड्यूल के बावजूद खरीद न होने व सरकार द्वारा आगामी समय में खरीद करने की नई गाइडलाइन जारी न होने से लगभग आठ हजार पंजीकृत किसानों की बाजरा बेचने की योजना अधर में लटक गई है। सरकार द्वारा 15 से 23 तक उपायुक्तों की देखरेख में गठित कमेटी की सत्यापन रिपोर्ट के बावजूद खरीद प्रक्रिया पर कोई कदम नहीं उठाने से आढ़तियों व किसानों में फसल बिक्री को लेकर संशय पैदा हो गया और उन्होंने सरकार की खरीद प्रक्रिया की चुप्पी पर कड़ा रोष प्रकट किया है।

बाढड़ा उपमंडल समेत समस्त दादरी जिले में अब की बार रिकार्ड मात्रा में बाजरा उत्पादन होने से किसानों की बांदे खिल गई है तथा उन्होंने रातोंरात मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर पंजीकृत कर बिक्री प्रक्रिया में भागीदारी शुरु कर दी। प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए पहले उपमंडल की मंडी में मात्र तीस किसानों को आमंत्रित किया जिससे किसान संगठनों ने रोष जताया तो खरीद एजेंसी ने उपमंडल की मंडी में पहले सौ की संख्या वृद्धि करते हुए व उसके बाद दो सौ करने के अलावा क्षेत्र के सबसे बड़े गांव कादमा, झोझू, दगड़ौली में नए अस्थाई खरीद केन्द्र खोलकर तेज गति से खरीद कार्य शुरु कर दिया।

इस दौरान अचानक ही दीपावली पर्व आने पर खरीद एजेंसियों ने दस नवंबर को नवंबर के पूरे माह का शेड्यूल जारी कर दिया जिससे किसानों को राहत मिली की उनका पंजीकृत पूरा अनाज बिकेगा लेकिन प्रदेश सरकार ने बकाया बाजरे की खरीद के लिए 27 नवंबर तक जारी किए गए शेड्यूल के किसानों को आमंत्रित नहीं करने से उनको अब अपना बाजरा सरकारी भाव पर बेचने की उम्मीद टूटती नजर आ रही है जिससे किसानों का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया है तथा उन्होंने सोमवार से आढती, किसान संगठनों की संयुक्त बैठक आयोजित कर आगामी रणनीति के तहत आंदोलन चलान का निर्णय लिया है।

इस बारे में दादरी मार्केट कमेटी सचिव सुरेश खोखर से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले 27 नवंबर तक का खरीद शेड्यूल जारी किया गया था लेकिन दो सप्ताह तक सत्यापन कार्य के कारण खरीदबंद थी। अब आज शेड्यूल भी जारी नहीं किया है इसीलिए आगामी आदेश तक खरीद कार्य नहीं होगा। राज्य मुख्यालय से जो भी आदेश आएगा उसके अनुरुप आगामी कदम उठाया जाएगा।



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8 thousand farmers' purchase of millet hangs in the balance due to non-release of new guidelines


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