Skip to main content

बदलावों के लिए खुद को तैयार करें विद्यार्थी: पांडेय

केयू के जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान में गुरुवार को एल्युमनी लेक्चर शृंखला का शुभारंभ किया गया जिसमें वरिष्ठ पत्रकार आशीष पांडेय ने कहा कि कोविड एवं नई तकनीक ने प्रिंट मीडिया को और अधिक प्रभावी एवं उपयोगी बना दिया है। कोविड के समय में समाचार कक्ष बदले गए हैं। भविष्य के पत्रकारों को इन बदलावों को समझना होगा व उसके अनुरूप ही पत्रकारिता करनी होगी। मीडिया उद्योग में पिछले 20 वर्षों में जो बदलाव आए हैं, उससे तेज गति से बदलाव अगले 5 वर्ष में होने वाले हैं। मीडिया के विद्यार्थियों को खुद को इन बदलावों के लिए तैयार करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि समय के साथ समाचार स्त्रोत व माध्यम निरंतर बदल रहे हैं। अब लोग समाचार के लिए वाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, यू ट्यूब व अन्य डिजिटल माध्यमों पर समाचार ढूंढ रहे हैं जहां-जहां पाठक, दर्शक व श्रोता जा रहे हैं, समाचारों की पहुंच बनाने के लिए समाचार संस्थानों व पत्रकारों का भी वहां जाना पड़ रहा है। वर्तमान पत्रकारिता की यही सच्चाई है।

जब माध्यमों में बदलाव हो रहे हैं, अलग-अलग माध्यमों पर कहानी को कहने की कला एक मीडिया के विद्यार्थी को जरूर आनी चाहिए। विद्यार्थियों को खुद को एक पत्रकार के रूप में नही कंटेंट के विशेषज्ञ के रूप में देखना चाहिए। जो बेहतर कंटेंट दे पाएगा, भविष्य में उद्योग में वही टिक सकेगा। उन्होंने कहा कि विश्वसनीय समाचार व समाचार माध्यमों का महत्व और अधिक बढ़ने वाला है। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे खुद को ऐसे तैयार करें कि वे उद्योग के लिए महत्वपूर्ण साबित हों।

आशीष पांडेय ने कहा कि मीडिया उद्योग में जिस तरह से नए-नए प्रयोग हो रहे हैं, ऐसे प्रयोग भविष्य के मीडिया कर्मी कर सकें, इसे क्लास रूम में सिखाया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि नए वैकल्पिक मीडिया माध्यम मुख्य धारा के मीडिया के आगे अपने कंटेंट की गुणवत्ता से नई चुनौतियां पेश कर रहे हैं। यह मीडिया उद्योग के लिए व पाठकों व दर्शकों के लिए बहुत अच्छा है। पांडेय ने कहा कि कुछ लोग मीडिया के भविष्य पर सवाल करते हैं कि मीडिया संस्थानों का भविष्य क्या रहेगा। उन्होंने इसके जवाब में कहा कि झूठे समाचारों व अफवाहों के दौर में इनका महत्व समय के साथ और अधिक बढ़ने वाला है। विश्वसनीयता का संकट एक बड़ा संकट है, जिससे हर पत्रकार व मीडिया संस्थान को गुजरना पड़ रहा है लेकिन अब लोग भी मानने लगे हैं कि मुद्रित माध्यम ही सबसे विश्वसनीय माध्यम है।

अपनी व अपने काम की विश्वसनीयता कैसे बनाई रखी जाए, इसके लिए एक पत्रकार को निरंतर प्रयास करने चाहिए। हम कितने विश्वसनीय हैं व एक पत्रकार के रूप में प्रतिदिन काम हम कितनी विश्वसनीयता से कर रहे हैं, यह सवाल एक पत्रकार को खुद से हर रोज करना चाहिए। मीडिया उद्योग को अच्छे कंटेंट राइटर, वॉयस ओवर, वीडियाे ब्लाॅगिंग, सोशल मीडिया को हैंडल करने वाले लोगों की आवश्यकता है। एक संपादक को अपना दैनिक काम शुरू करने से पहले टि्वटर पर वीडियो पोस्ट करना होता है। अखबार, टेलीविजन व डिजिटल तीनों जगह पर काम काज बदल रहा है।

टिकटॉक व पत्रकारिता में क्या अंतर है, इसकी समझ एक विद्यार्थी को जरूर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता कोई पैसा कमाने वाली चीज नहीं है, यह एक ऐसा कार्यक्षेत्र जिसमें आप तभी कुछ अच्छा कर सकते हैं जब करने का जज्बा रखते हैं व अपने काम से प्यार करते हैं। इस मौके पर अर्पणा चंदेल, उमेश भार्गव, नवीन कुमार, अभिषेक गोयल सहित बड़ी संख्या में एल्युमनी मौजूद रहे। संस्थान की निदेशिका प्रो. बिंदू शर्मा ने मुख्य वक्ता का स्वागत किया। मौके पर संयोजक डॉ. अशोक कुमार, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. मधुदीप सिंह, डॉ. आबिद अली, डॉ. तपेश किरण, डॉ. अभिनव, डॉ. रोशन लाल, डॉ. सतीश राणा और कंवरदीप शर्मा मौजूद रहे।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3q7tT2w

Popular posts from this blog

कच्चे क्वार्टर बाजार के बीच से गुजर रहे हैं बिजली के तार, हादसा आगजनी में 1999 में 48 लोगों की हुई थी मौत

शहर का सबसे व्यस्त व भीड़ वाले बाजार कच्चे क्वार्टर के बीच से बिजली के तार गुजर रहे हैं। केबल न होने से हवा चलने पर यह तार आपस में टकरा जाते हैं। जिससे चिंगारी निकलती है। ऐसे में यहां आगजनी होने का खतरा बना रहता है। व्यापारियों व दुकानदारों ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए कई बार मांग कर चुके हैं। लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। जबकि यहां एक बार बड़ी अनहोनी हो चुकी है। 1999 में आगजनी होने पर 48 लाेगों की हुई थी मौत कच्चे क्वार्टर में नवंबर, 1999 में बड़ी आगजनी की घटना हुई थी। आगजनी घटना शार्ट-सर्किट के कारण हुई थी। आग में 48 लोगों की जान गई थी। वहीं सौ से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। एक ही दुकान के अंदर दर्जनों लोगों की जान गंवाई थी। कच्चे क्वार्टर बाजार में 1999 के बाद भीड़ करीब 10 गुणों बढ़ गई है। हर दिन यहां हजारों लोग खरीददारी के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में यहां दुकानों के स्टाल पर लटकते तारों से हादसा होने का अंदेशा है। यहां दिन के समय भी पैदल निकलना भी मुश्किल हो रहा इस क्षेत्र में अतिक्रमण लगातार बढ़ रहा है। जबकि नगर निगम पर इस पर कंट्रोल नहीं है। यहां दिन में पैदल...

2 दिन से एमएसपी पर पीआर धान की नहीं हुई खरीद, सरकारी रिकॉर्ड में 17500 क्विंटल मंडियों में अटका

सरकार और राइस मिलर्स की लड़ाई में किसान पिस रहा है। पीआर धान की सरकारी खरीद कागजों में रविवार से शुरू हो चुकी है लेकिन पूरे जिले में किसी भी मंडी में एक दाने की खरीद अब तक नहीं हुई। मार्केट कमेटी के रिकॉर्ड अनुसार ही 17500 क्विंटल पीआर धान मंडियों में पहुंच चुका है। हालांकि धान इससे कहीं ज्यादा मात्रा में मंडियों में पड़ा है। सोमवार सुबह नई अनाज मंडी में एमएसपी पर धान की खरीद शुरू न होने पर किसानों ने मार्केट कमेटी कार्यालय के बाहर धरना शुरू किया। उसके बाद एसडीएम संजय कुमार किसानों के बीच पहुंचे और उन्हें एमएसपी पर खरीद का आश्वासन दिया। किसानों ने एसडीएम से दो टूक कहा कि वे पहले ही दुखी हैं और अब उन्हें और परेशान नहीं किया जाए। एक दिन का अल्टीमेटम देते हुए किसान बलजीत किच्छाना, गुरनाम सिंह डोहर, फूल सिंह नरड़, संजय ग्योंग, होशियार गिल व राममेहर गिल प्यौदा, तेजिंद्र सिंह अरनौली ने कहा कि अगर सोमवार सायं तक एम एसपी पर खरीद शुरू नहीं हुई तो मंगलवार से किसान कार्यालय के बाहर धरना देंगे और आंदोलन करने को मजबूर होंगे। किसानों को एक-एक क्विंटल धान लाने के मैसेज पर एसडीएम बोले-गलती सुधारी ज...