अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निर्माण की राह में अभी भी अड़चनें बरकरार है। इसके लिए लगातार बैठकों का दौर चल रहा है, मगर समाधान नहीं निकल रहा।
फिलहाल माजरा के ग्रामीण जमीन देने को तैयार हैं, मगर यहां मुआवजा राशि का पेंच फंसा हुआ है। गुरुवार को भी प्रशासनिक अधिकारियेां ने इस बारे में बैठक की थी। बैठक में बताया गया कि माजरा गांव की 320 एकड़ जमीन पोर्टल पर अपलोड हो चुकी है।
इसमें से 67 एकड़ जमीन पंचायत की भी शामिल है। बैठक में अरावली व एनसी जेड में आने वाली जमीन के बारे में भी चर्चा हुई, मगर अभी भी किसी भी प्रकार का अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। स्थानीय स्तर पर होने वाली बैठकों की रिपोर्ट सरकार को भेजी जानी है। इसके बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। एम्स को लेकर अब शुक्रवार को फिर से बैठक होगी। दोपहर 3 बजे यह बैठक बुलाई गई है।
50 लाख रुपए के मुआवजे की मांग : 5 साल पहले सीएम मनोहर लाल ने गांव मनेठी में एम्स निर्माण की घोषणा की थी। यहां के ग्रामीणा एम्स के लिए जरूरी 200 एकड़ से ज्यादा जमीन देने को तैयार थे, जिसका प्रस्ताव भी सरकार को सौंप दिया गया था। लंबे संघर्ष के बाद सरकार ने इस पर मुहर तो लगाई, मगर अरावली की जमीन होने के चलते आपत्ति लग गई। अब माजरा में एम्स की जमीन देखी गई, मगर ग्रामीण प्रति एकड़ 50 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं। इस पर सरकार राजी नहीं हुई है।
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