राज्य में पंचकूला के पोल्ट्री फार्मों में 4 लाख से ज्यादा मुर्गियों की असामान्य तरीके से हुई मौत के मामले सामने आने के बाद जिले में भी हडकंप की स्थिति है। इसे लेकर पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग की ओर से पोल्ट्री फार्मों के संचालकों को भी जरूरी हिदायत दी गई है। जिले में वेटरनरी सर्जन के नेतृत्व में 53 रैपिड रिस्पांस टीमों का गठन किया गया है।
यह टीम पोल्ट्री फार्मों पर जाकर भी निगरानी करेगी और संचालकों को जरूरी निर्देश भी देंगे। वहीं वन्य प्राणी विभाग की ओर से भी पक्षियों की मॉनीटरिंग शुरू कर दी गई है। जहां बड़ी मात्रा में पानी एकत्रित है और वहां पक्षियों की संख्या अधिक है तो वहां निगरानी की जा रही है।
दोनों विभाग ने बर्ड फ्लू की आशंका को देखते हुए बचाव के लिए भी सलाह दी है। पोल्ट्री फार्मों के संचालकों को निर्देश दिए कि अगर किसी मुर्गी में लक्षण मिलते हैं या कोई मौत होती है तो तुरंत पशुपालन विभाग को सूचना देनी होगी। फिलहाल राहत की बात ये है कि जिले में बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है।
जिले में छोटे-बड़े 60 पोल्ट्री फार्म
जिले में छोटे-बड़े 60 पोल्ट्री फार्म चल रहे हैं। इन फार्मों के संचालकों को पशुपालन विभाग की टीम ने हिदायत भी दी है। मुर्गियों की निगरानी भी की जा रही है। अगर किसी मुर्गी की मौत होती है तो संबंधित नजदीकी पशु अस्पताल के डॉक्टरों को सूचित करना होगा, ताकि समय पर उसकी लैब में जांच की जा सके और अन्य मुर्गियों में इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके।
क्या है बर्ड फ्लू
पशुपालन विभाग अधिकारी के अनुसार बर्ड फ्लू की बीमारी एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस एच5एन1 की वजह से होती है। यह वायरस पक्षियों और इंसानों को अपना शिकार बनाता है। बर्ड फ्लू इंफेक्शन मुर्गी, टर्की, गीस, मोर और बत्तख जैसे पक्षियों में तेजी से फैलता है। यह इन्फ्लूएंजा वायरस इतना खतरनाक होता है कि इससे इंसान और पक्षियों की मौत भी हो सकती है।
फ्लू की आशंका से पोल्ट्री फार्मों पर रेट लुढ़के
संक्रमण की आशंका से पोल्ट्री फार्मों पर रेट भी लुढ़क गए। रेट 10 % से ज्यादा तक गिरे हैं। वहीं बिक्री में भी गिरावट है। इसके अलावा अंडे में बिक्री की गिरावट 10 से 20% तक है।
^पोल्ट्री फार्म संचालकों को जरूरी निर्देश दिए गए हैं। जिनमें मुर्गियों का ठंड से बचाव करने के साथ ही मुर्गियों के लिए बेहतर फीड की खरीदारी करें।
कोई भी फंगस लगा फीड नहीं खरीदें ताकि इंफेक्शन नहीं हो। फिर भी अगर मुर्गियों में कोई लक्षण या मौत होती है तो तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल के डॉक्टर को सूचित करें। ताकि समय पर जांच कर इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके। विभाग के डॉक्टर भी फार्मों की निगरानी में लगे हैं। -डॉ. राजबीर सिंह, उपमंडल अधिकारी, पशुपालन विभाग रेवाड़ी।
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