ड्राई रन ड्रिल में किया वैक्सीन लगाने का पूर्वाभ्यास, एक व्यक्ति पर 45 मिनट समय लगा, अब दवा आने पर इसी तरह लगेंगे टीके

कोरोना की वैक्सीन के इंतजार का पहला चरण ड्राई रन पूरा हुआ। जिले में बनाए गए 6 केंद्रों पर 150 स्वास्थ्य कर्मियों पर ट्रायल किया। यह ड्राई रन इसलिए किया ताकि वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया में किसी तरह की कमी हो तो उसे ड्राई रन में पहचान करे दूर किया जा सके।
मुख्य रूप से आशंका मोबाइल पर मैसेज मिलने और रजिस्ट्रेशन को लेकर थी, जो लगभग दूर हो गई। जिनको टीके लगाने की प्रक्रिया में शामिल होना था, उनको एक दिन पहले मैसेज भेजे गए। हर जगह पहले कर्मचारी का रजिस्ट्रेशन जांचा और थर्मल स्क्रीनिंग और हाथ सेनिटाइज करवाए गए।
प्रत्येक व्यक्ति को टीके की प्रक्रिया के बाद आधे घंटे के लिए केंद्र पर रोका गया। ताकि साइड इफेक्ट्स का पता लगाया जा सके। रजिस्ट्रेशन से लेकर वैक्सीन लगाने में 15 मिनट और फिर 30 मिनट के इंतजार को मिलाकर पूरी प्रक्रिया 45 मिनट की रही। हांलाकि ट्रायल में वेक्सीनेटर स्टाफ ने (बिना दवाई के) टीकाकरण किया।
इन 6 जगहों पर हुआ ड्राई रन
जिले में 6 जगहों पर ड्राई रन चलाया गया। इनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भाडावास, सेक्टर-4 रेवाड़ी, राजीव नगर, मीरपुर, मसानी, कुतुबपुर व फतेहपुरी आदि शामिल हैं। इस ड्राई रन के दौरान अलग-अलग सेंटरों पर जिला स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी मौजूद रहे, जो कि लगातार मॉनिटरिंग कर रहे थे।
ये रोचक... बिना रजिस्ट्रेशन के ही पहुंचा टीका लगवाने : सेक्टर-4 डिस्पेंसरी में ड्राई रन के दौरान एक व्यक्ति बीच में पहुंच गया और बिना रजिस्ट्रेशन के ही टीके लगाने की बात कहने लगा। लेकिन वहां मौजूद स्टाफ ने उसे बताया कि यह ट्रायल है और टीके के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है। बाद में बताया कि वह हेल्थ विभाग का ही कर्मचारी था। ऐसा इसलिए कि भविष्य में वास्तविक टीकाकरण के दौरान बिना रजिस्ट्रेशन के पहुंचे व्यक्ति को क्या जवाब देना है, यह देखना था।
ऐसे रही ड्राई रन प्रक्रिया
1. सबसे पहले ड्राई रन ड्रिल में आने वाले कर्मचारी का तापमान जांचा गया और थर्मल स्क्रीनिंग की गई। इसके बाद नाम और मोबाइल में मैसेज देखने के बाद उनको अगली प्रक्रिया के लिए भेजा गया।
2. दूसरे चरण में हेल्थ कर्मियों की आईडी का क्रॉस वेरिफिकेशन व कंप्यूटर में एंट्री की।
3. तीसरे चरण में क्रॉस वेरिफिकेशन के बाद वेक्सीनेटर ऑफिसर की ओर से मेडिकल हिस्ट्री जानने के बाद उन पर वैक्सीन परीक्षण(बिना दवाई के) टीकाकरण किया।
4. वैक्सीनेशन परीक्षण के बाद उनको ऑब्जरवेशन रूम में रखा। वहां मौजूद डॉक्टर ने समय रजिस्टर में दर्ज किया। 30 मिनट ऑब्जरवेशन के बाद ही उनको भेजा। इसके अलावा जिनको कोई दिक्कत होती है तो उनको एईएफआई मैनेजमेंट रूम में भेजा गया।
ध्यान रखें... बुधवार और शनिवार को नहीं होगा टीकाकरण
कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान पहले से चल रहे अभियान के दिन टीकाकरण नहीं होगा। यानि सप्ताह में बुधवार व शनिवार को बच्चों का विभिन्न बीमारियों के लिए टीकाकरण होता है। इन दो दिनों को छोड़कर बाकी दिनों में कोरोना टीकाकरण का कार्य चलेगा।
उम्मीद... 10 दिन में आ सकती है कोराना वैक्सीन
जिला स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार करीब 10 दिन में कोरोना वैक्सीन उपलब्ध होने की उम्मीद है। इसके बाद पहले चरण में हेल्थ विभाग के कर्मचारियों व प्राइवेट अस्पताल कर्मचारियों के साथ ही आशा, आंगनबाड़ी व अन्य हेल्थ कर्मियों का टीकाकरण होगा। जिले में 5 हजार स्वास्थ्य कर्मियों का रजिस्ट्रेशन किया गया है।
शुरूआत में इनको लगेंगे टीके...सबसे अधिक बावल सीएचसी में
सिविल अस्पताल रेवाड़ी में 472, खोल सीएचसी में 122, बासदूदा पीएचसी में 99, ईएसआई धारूहेड़ा में 31, ईएसआई बावल डिस्पेंसरी में 15, कसौला पीएचसी में 127, राजीव नगर यूपीएचसी में 137, टांकड़ी पीएचसी में 63, हुडा डिस्पेंसरी सेक्टर-4 में 13, कुतुबपुर यूपीएचसी में 80, बव्वा पीएचसी में 67, फतेहपुरी में 133, डहीना में 173, कोसली एसडीएच में 107, जाटूसाना पीएचसी में 163, ईएसआई डिस्पेंसरी रेवाड़ी में 27, मीरपुर सीएचसी में 195, सीहा पीएचसी में 78, नाहड़ सीएचसी में 264, गुड़ियानी पीएचसी में 172, धारूहेड़ा पीएचसी में 67, गुरावड़ा सीएचसी में 198, भाडावास पीएचसी में 60, बावल सीएचसी में 499 लाभार्थी शामिल हैं। इसके अलावा 8 प्राइवेट हॉस्पिटल में भी टीके के लिए सेंटर बनाए गए हैं।
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