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न्यूनतम तापमान हुआ 2.6 डिग्री सेल्सियस, आने वाले दिनाें में पाला पड़ने की संभावना

दिसंबर में अभी तक एक दो दिन को छोड़ दिया जाए तो सूर्यदेव भी हररोज धूप खिला रहे हैं। मंगलवार को भी सुबह से धूप खिली, लेकिन हल्की शीत लहर के चलते दिन में धूप के बावजूद ठंड बनी रही। हालांकि मंगलवार के तापमान की पिछले साल 29 दिसंबर के तापमान से तुलना की जाए तो दिन का तापमान 5.4 डिग्री सेल्सियस अधिक और रात का तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस कम रहा। मंगलवार को अधिकतम तापमान 15.4 डिग्री और न्यूनतम तापमान 2.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, जबकि पिछले साल इसी तारीख में अधिकतम तापमान 10.0 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 3.8 डिग्री सेल्सियस रहा।

तापमान सामान्य से 4 डिग्री कम रहा। मौसम विभाग के अनुसार आने वाली 31 दिसंबर व एक जनवरी को आसमान में कहीं-कहीं बादल आ सकते हैं। बादलों की वजह से न्यूनतम तापमान में अधिक बढ़ोतरी हो सकती है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि मौसम विभाग के अध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से 26 व 27 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर व हिमाचल में हुई बर्फबारी व पंजाब में हुई हल्की बारिश तथा देर रात्रि से पहाड़ों की तरफ से आ रही उत्तर पश्चिमी ठंडी हवाओं के कारण रात्रि तापमान में गिरावट आई है।

31 दिसंबर तक उत्तर पश्चिमी हवाएं मैदानी क्षेत्रों मे चलने की संभावना से जिले व प्रदेश में रात्रि तापमान में और गिरावट व कहीं कहीं पाला पड़ने की भी संभावना है। इस दौरान वातावरण में नमी अधिक होने से अलसुबह धुन्ध भी रहने की संभावना है।

डॉ. मदन खीचड़ के अनुसार सर्द मौसम में जब तापमान हिमांक के आसपास पर या इससे नीचे चला जाता है तब वायु में उपस्थित जलवाष्प बिना द्रव रूप में परिवर्तित न होकर सीधे ही सूक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं। इसे ही पाला पड़ना या बर्फ जमना कहा जाता है। दोपहर बाद हवा न चलने तथा रात में आसमान साफ रहने पर पाला पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। प्रदेश में पाला आमतौर पर दिसंबर से फरवरी महीने में ही पड़ने की संभावना बनी रहती है।

फसलों को पाले से बचाव के लिए ये करें उपाय
डॉ. मदन खीचड़ के अनुसार पाले का हानिकारक प्रभाव अगेती सरसों, आलू, फलों व सब्जियों की नर्सरी तथा छोटे फलदार पौधों पर पड़ सकता है। इससे बचाव के लिए किसान यदि पानी उपलब्ध हो तो विशेषकर उपरलिखित फसलों, सब्जियों व फलदार पौधों में सिंचाई करें ताकि जमीन का तापमान बढ़ सके। किसान खेत के किनारे पर तथा 15 से 20 फीट की दूरी के अंतराल पर जिस और से हवा आ रही है। रात्रि के समय कूड़ा कचरा सूखी घास आदि एकत्रित कर धुआं करना चाहिए, ताकि वातावरण का तापमान बढ़ सकें जिससे पाले का हानिकारक प्रभाव न पड़े। सीमित क्षेत्र में लगी हुई फल व सब्जियों की नर्सरी को टाट, पॉलीथिन व भूसे से ढकें।



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