सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट बलराज सिंह मलिक ने कहा कि शिक्षा के आदर्शवाद में प्रसन्नता के साथ सुख, सत्ता साधना, ज्ञान की प्राप्ति का साधन है। भौतिकवाद का भरोसा छोड़कर प्रकृति द्वारा उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से जीवन व्यतीत करना चाहिए। आदर्शवाद से शिक्षा ग्रहण करने से आपका आचरण विनम्र पूर्ण हो जाएगा। वह चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के कॉमर्स व मैनेजमेंट विभाग द्वारा शिक्षा का मानवीकरण विषय पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि भौतिक आवश्यकता सिर्फ शरीर समझता है परंतु जीवन के असली सच्चाई भावात्मक के संतुलन के साथ सम्मान, प्रेम, वात्सल्य के साथ जीवन व्यतीत करने से है। उन्होंने बताया कि बच्चा जन्म से न्यायवादी, सत्यवादी, कर्म वादी हो सकता है। अगर उसकी व्यवस्था सही ढंग से बनाई जाए। व्यवस्था बनाई नहीं जाती। व्यवस्था प्रकृति में है, उसको समझाने की जिम्मेदारी अध्यापकों, माता-पिता और समाज के वरिष्ठ व्यक्तियों की है। उन्होंने बताया कि शिक्षा का मानवीकरण का उद्देश्य सार्वभौमिक मूल्यों की प्राथमिकताओं के साथ व्यक्तित्व और समाज के संबंध में सुधार के लिए एक व्यक्तित्व आत्मविश्वास प्रमुख लक्ष्य है।
उन्होंने शिक्षा मानवीकरण के विषय में बताया कि शिक्षा मानवीकरण के रूप में एक व्यक्ति के लाभ की घोषणा करता है। डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रोफेसर एसके सिन्हा ने बताया कि हाल के वर्षों में दिखाई दिया है कि ज्ञान के नए क्षेत्रों के बीच विशेष रुचि मानव विज्ञान द्वारा आकर्षित किया गया है। ज्ञान प्रबंधन रचनात्मकता प्रबंधन जो मानवीय गठन को बढ़ावा देता है उसमें मानवीय दृष्टिकोण व्यक्तित्व और समाज के संबंधों का विकास रचनात्मक क्षमता शामिल है। इस दौरान डीन ऑफ कॉलेजेज डॉ. आनंद कुमार मौजूद रहे।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2X7G0jb