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मिड-डे मील वर्कर्स काे बेरोजगार करना चाहती है सरकार: बबली

मिड-डे मील वर्करों के रोजगार को खत्म करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयास कर रही है लेकिन मिड-डे मिल वर्कर इसे किसी सूरत में सहन नही करेंगे तथा 30 दिसंबर के विरोध प्रदर्शन में बढ़चढ़ कर भाग लेंगे।

ये बात मिड-डे मील कर्मियों की अनाज मंडी में आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए खंड प्रधान बबली ने कही। बैठक की अध्यक्षता सीटू नेता सुमेर ने की। उन्होंने कहा कि आज देश का अन्नदाता किसान मजदूर विरोधी कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सभी बार्डरों पर डटे हुए है।

40 के करीब किसान शहीद होने के बावजूद सरकार किसानों को बदनाम करने पर तुली हुई है। कारपोरेट परस्त भाजपा सरकार ने कोरोना का बहाना बनाकर तीन कृषि कानून, बिजली बिल 2020, 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर-किसान व कर्मचारियों को संघर्ष के लिए सड़कों पर आने के लिए मजबूर कर दिया है। इन कानूनों के लागू होने से मजदूर-किसान पूंजीपति घरानों के गुलाम हो जाएंगे।

पिछले कई महीनों से आशा वर्कर्स, ग्रामीण सफाई कर्मी, भवन निर्माण मजदूर व कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्षरत है मगर सरकार इनकी मांगो को अनसुना करके लटका रही हैं। उन्होंने कर्मियों को आह्वान किया लंबित मांगों को लेकर 30 दिसम्बर को गांव व मोहल्ला स्तर पर विरोध प्रदर्शन व 12 जनवरी को जिला उपायुक्त कार्यालय का घेराव में भाग लें। इस अवसर पर निर्मला, बिमला, राजबाला, माया, सुनीता, शारदा, राजकला, सुनीता, अनीता, रोशल लाल मौजूद थे।



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Government wants to make mid-day meal workers unemployed: Babli


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