नए कृषि कानूनों को लेकर टिकरी बाॅर्डर पर चल रहे धरने को समर्थन देने के लिए नया गांव के पास सड़क पर ठहरे पंजाब के 40 वर्षीय किसान जगशेर सिंह की वाहन की टक्कर लगने से मौत हो गई। जगशेर सिंह 26 दिसंबर को बहादुरगढ़ आया था व हर रोज परिवार के लोगों को अपने ठीक-ठाक होने की जानकारी देता था।
मंगलवार रात को भी उसने अपनी मां मंजीत कौर से भी बात की थी व बताया था कि बस पांच-सात दिन की बात रह गई है और फिर सभी किसान वापस घर को चलेंगे। इसके बाद रात आठ बजे वह अपने साथ आए किसानों के साथ बैठकर बात करने लगा। उस बीच वह लघुशंका के लिए सड़क के दूसरी तरफ जाने लगा तभी एक तेज गति से आ रही कार ने उसे टक्कर मार दी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे सिविल अस्पताल लाया गया जहां डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सूचना पाकर एचएल सिटी चौकी से पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल के शवगृह में रखवाया हुआ है। जानकारी अनुसार मृतक की पहचान पंजाब के मानसा के गांव बाघड़ा के 40 वर्षीय किसान जगशेर के रूप में हुई जो बहादुरगढ़ में डटे आंदोलनकारी किसान जत्थे में शामिल था। वह सेक्टर-13 के पास किसानों के साथ ही ठहरा हुआ था। मंगलवार की रात को वह लघुशंका के लिए जैसे ही सड़क क्रास करने लगा तो किसी अज्ञात वाहन की चपेट में आ गया। इसमें अधिक चोटें आने के कारण उसके साथी उसे तुरंत इलाज के लिए सिविल अस्पताल में लेकर आए। जहां डाॅक्टर ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया था।
परिजनों के आने के बाद ही बयान होंगे दर्ज: एचएल सिटी चौकी इंचार्ज कप्तान सिंह ने बताया कि उसके परिजनों के आने व बयान दर्ज होने के बाद ही शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि वह अपने गांव से किसान जत्थे के साथ 26 दिसंबर को बहादुरगढ़ पहुंचा था।
उसके सात साल की बेटी व पांच साल का बेटा है। आंदोलन के दौरान बीमारी, दुर्घटनाओं व अन्य वजह से यहां 13 किसानों की मौत हो चुकी है। इस मामले में उसके साथी सुखपाल सिंह ने बताया कि वह बाधडा तहसील बुडलाडा जिला मानसा पंजाब का रहने वाला हूं और हाल में गांव का सरपंच पति है उसकी पत्नी गांव की सरपंच है। मैं अपने गांव के लोगों के साथ किसान आंदोलन में आए हुए थे जिनमें मेरा साडू जगसेर सिंह पुत्र जरनैल सिंह गांव बाधडा थाना सदर बुडलाजा जिला मानसा पंजाब भी बहादुरगढ आया हुआ था। मंगलवार रात आठ बजे रोहतक रोड फ्लाईओवर सेक्टर 13 के सामने बैठे हुए थे जहां पर ट्रालियां खडी की गई है जो जगसेर सिंह ने मुझे कहां कि पेशाब करना है और पेशाब करने जा रहा हूं।
वह सड़क की तरफ जैसे ही रोड क्राॅस करने लगा ताे एक वाहन ने उसे टक्कर मार दी। मैंने जाकर देखा तो मेरे साडू के सिर से खून निकला हुआ था जो मैंने एंबुलेंस का इंतजाम किया और अपने साडू को सरकारी सिविल अस्पताल में लेकर आया जहां पर डाॅक्टर साहब ने मेरे साडू को चेक किया औऱ कहां इसकी मौत हो चुकी है।
बाईपास पर ट्राली से गिरकर एक किसान चोटिल: तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान बहादुरगढ़ बाईपास पर एक युवा किसान ट्रैक्टर-ट्राली पर चढ़ते वक्त पैर फिसलने से गिरकर चोटिल हो गया। बताया गया है कि संगरूर जिले का रहने वाला कुलदीप जब जत्थे में शामिल एक ट्राली पर चढ़ रहा था तो उसी वक्त वह अचानक नीचे गिर गया। उसके साथी तुरंत इलाज के लिए शहर के नागरिक अस्पताल में लेकर आए, जहां से उसे रोहतक स्थित पीजीआई रेफर कर दिया गया।
26 को परेड में भाग लेंगे: राकेश टिकैत ने मंच से ऐलान किया कि 26 जनवरी की परेड में किसान भी भाग लेंगे और तिरंगा लगाकर एक लाख ट्रैक्टर दिल्ली में प्रवेश करेंगे। अब देखेंगे कि तिरंगे पर कौन वाटर कैनन चलाता है और कौन लाठी भांजता है। किसान दिल्ली में जाने की तैयारी में जुटे हुए है।
बाॅर्डर पर ट्रैक्टरों की संख्या बढ़ी टिकरी बॉर्डर किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बुधवार को भी बड़ी संख्या में पंजाब से किसान यहां पहुंचे। इनमें ट्रैक्टर ट्रालियों की संख्या अधिक रही। किसानों ने मंच से आंदोलन में शामिल किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र की सरकार बार-बार किसानों को बुला रही है, हम जा भी रहेे हैं पर अब किसान को दिल्ली के लिए तैयार रहना है।
जत्थों में महिलाएं भी पहुंची: बुधवार को रात से ही रेल गाड़ी व ट्रैक्टर ट्रॉली, कारों और अन्य वाहनों से बुजुर्गों और महिलाओं सहित किसान जुअां ड्रेन से होते हुए टिकरी बार्डर पर पहुंच गए हैं। यहां उनके रहने की व्यवस्था पहले से ही की जा रही है। वाहनों को बहादुरगढ़ में नाहरा नाहरी रोड से विवेकानंद चौक की तरफ बढ़ता जा रहा है।
भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहन ने दावा किया कि टिकरी बाॅर्डर प्रदर्शन स्थलों की ओर हजारों किसान मार्च करेंगे। किसान सुखदेव सिंह ने कहा कि जो नए जत्थे आ रहे हैं, उनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। अब धरने पर सरकार के रूख को देखते हुए युवाओं की तादात बढ़ाई जा रही है। किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं और इसको लकेर वे टिकरी बॉर्डर दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। दिल्ली आने वाले अधिकांश रास्तों को सील कर दिया गया है।
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