नहीं चला भाजपा का दाव, कांग्रेस का गेम चेंजिंग फार्मूला फेल हलोपा की निशा बजाज ले गई दो प्रत्याशियों से ज्यादा वोट
आखिर नगरपरिषद के वार्ड 29 के उपचुनाव का फैसला बुधवार की सुबह हो गया है। विधायक गोपाल कांडा की हलोपा और शिअद समर्थित प्रत्याशी निशा बजाज ने चुनाव जीता और वार्ड 29 की नई पार्षद निर्वाचित हो गई है।
भले ही यह जीत नगरपरिषद के बचे हुए करीब 9-10 महीने के कार्यकाल के लिए हो, मगर इसने शहर की सियासी चाल बदलकर रख दी है। सत्ताधारी बीजेपी नेता जहां इस चुनाव के माध्यम से वार्ड में पुन: अपना पार्षद बनाकर अपनी पैठ साबित करने के कयास लगाए बैठे थे। वहीं कांग्रेस नेता दलित वर्ग की राजनीति चलते पूरा गेम बदलने की फिराक में थे।
सेतिया गुट की सुषमा इस बार भी दूसरे नंबर पर
सेतिया गुट से समर्थित उम्मीदवार सुषमा हालांकि दूसरे नंबर पर आई, मगर जीत से कोसो दूर रह गई। जिसका अब कोई आधार नजर नहीं आ रहा है। नगर परिषद के वार्ड नंबर-29 के उपचुनाव में हलोपा-शिअद प्रत्याशी निशा बजाज ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सुषमा मल्होत्रा को 422 वोटों के अंतर से पराजित किया। निशा बजाज को 2769 वोटों में से 1094 वोट प्राप्त हुए। जबकि सेतिया समर्थित सुषमा मल्होत्रा को 672 वोट हासिल हुए। यहां बता दें कि वार्ड पार्षद ज्ञान देवी के आकस्मिक निधन पर उपचुनाव करवाना पड़ा था।
4073 में से 2769 ही वोट डले थे
चुनाव जीतने के लिए हरेक द्वारा जोर आजमाइश की गई थी। बीती 27 दिसंबर को मतदान हुआ था और 30 दिसंबर सुबह नगर परिषद कार्यालय परिषद में कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच मतगणना हुई। सुबह 8 बजे मतगणना का कार्य प्रारंभ हुआ और लगभग 9 बजे परिणाम घोषित कर दिए गए। वार्ड के कुल 4073 वोटरों में से 2769 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
नोटा को मिलें 18 वोट
उपचुनाव के दौरान वार्ड नंबर-29 के 18 मतदाताओं ने नोटा बटन का इस्तेमाल किया। उन्होंने चारों में से किसी भी उम्मीदवार पर अपनी पसंद जाहिर नहीं की, बल्कि नोटा का प्रयोग किया। इस वार्ड के बूथ नंबर एक में 4, दो में 3, 3 में दो, चार में 5 और बूथ नंबर 5 में 4 मतदाताओं ने नोटा बटन का प्रयोग किया।
अंजनी मेहता को छोड़कर तीन प्रत्याशी दूसरे वार्ड से
वार्ड 29 के उपचुनाव में बीजेपी की अंजनी मेहता सहित कुल 4 प्रत्याशी मैदान में थी । अंजनी मेहता को छोड़कर बाकी तीन प्रत्याशी दूसरे वार्ड से संबंधित हैं। केवल अंजनी ही वार्ड 29 की निवासी है। इसके बावजूद भी यहां के मतदाताओं ने अपने वार्ड की निवासी अंजनी मेहता के बजाय वार्ड नंबर 18 से आकर चुनाव लड़ रही निशा बजाज को विजय बनाया है। जबकि कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ रही राखी मौर्य भी वार्ड नंबर 28 की निवासी है। इसके अलावा दूसरे नंबर पर रही सुषमा मल्होत्रा भी वार्ड 30 के निवासी है।
पांच में से चार बूथों पर विजयी रहीं निशा बजाज
इस वार्ड में पांच बूथ है, जिनमें बूथ नंबर 2 को छोड़कर शेष चार बूथों पर हलोपा-शिअद प्रत्याशी निशा बजाज ने भारी बढ़त हासिल की। जबकि बूथ नंबर-दो पर सुषमा मल्होत्रा से अधिक मत प्राप्त किए। बूथ नंबर दो पर सुषमा मल्होत्रा को 172 वोट प्राप्त हुए, जबकि भाजपा प्रत्याशी अंजनी मेहता को 92, कांग्रेस प्रत्याशी रेखा मौर्य को 124 और निशा बजाज को 126 वोट प्राप्त हुए।
नप के प्रधान पद के लिए अब नए समीकरण बने
भले ही वार्ड के इस उपचुनाव को हल्के रूप में देखा जाए लेकिन इस जीत के बड़े मायने है। नप प्रधान का पद अभी तक खाली पड़ा है। किसी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। इसलिए प्रधान पद का चुनाव भी होना है। पहले विधायक गोपाल कांडा ने नप में बीजेपी को बिना शर्त समर्थन दे रखा था। मगर कांग्रेस पार्षद ने कोर्ट जाकर अड़ंगा डाल दिया और चुनाव नहीं हो पाया था। अब अगर चुनाव होते है तो सारी शर्तें बदल गई है। कांडा साफ कह चुके हैं कि बीजेपी सरकार को हरियाणा में उनका समर्थन है, मगर यहां के स्थानीय बीजेपी नेताओं के साथ उनकी सोच नहीं मिलती। अब कांडा के भी नप में 7 पार्षद हो गए हैं। नप के आम चुनाव में इस बार प्रधान का डायरेक्ट चुनाव होना हैं। इसलिए यह जीत बाकी पार्टियों के लिए आत्ममंथन करने की है।
जिलाध्यक्ष आदित्य पहली परीक्षा में रहे असफल
वार्ड उपचुनाव में भले ही भाजपा प्रत्याशी अंजनी मेहता की हार की कुछ भी वजह रहीं हो। लेकिन एक वजह भाजपा के स्थानीय नेताओं की रणनीति भी रही है। हाल ही में जिलाध्यक्ष बने आदित्य देवीलाल के नेतृत्व में बीजेपी ने यह पहला चुनाव लड़ा था। उनकी सारी राजनीतिक चाल विफल रही । इतना ही नहीं बीजेपी प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रही। जबकि आदित्य देवीलाल के नेतृत्व में पूरी बीजेपी दिन रात प्रचार में लगी हुई थी। सिरसा में जितने भाजपा के दिग्गज हैं, यदि उनकी ओर से महज 15-20 वोटरों को भी इस चुनाव में साधा होता तो परिणाम कुछ ओर भी हो सकता था। लेकिन भाजपा प्रत्याशी को महज 630 वोट ही प्राप्त हो पाए। जबकि सिरसा में जगदीश चोपड़ा, प्रदीप रातुसरिया, पूर्व विधायक मक्खन लाल सिंगला, पदम जैन, भूपेश मेहता, रतनलाल बमनिया, श्याम बजाज, अमन चोपड़ा, सुनील बहल, सागर बजाज जैसे दिग्गज नेता चुनाव की बागडोर संभाले हुए थे। इसके अलावा सहयोगी जेजेपी पार्टी का भी बीजेपी को कोई लाभ नही मिला। हालांकि किसान आंदोलन भी बीजेपी की हार का एक प्रमुख कारण माना जा सकता है।
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