रणबीर महेंद्रा और दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार से राजहठ छोड़ने को कहा, बोले - किसानों के हितों को देखते हुए जल्द फैसला ले मोदी सरकार
किसान संगठनों के साथ बुधवार को होने वाली बातचीत में केंद्र सरकार को सकारात्मक सोच दिखाते हुए राजहठ छोड़ समाधान की ओर बढ़ना चाहिए। वर्ना आने वाला समय सरकार को भारी पड़ेगा। यह बात राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कितलाना टोल प्लाजा पर पांचवें दिन अनिश्चित कालीन धरने को समर्थन देते हुए अपने संबोधन में कहीं। उन्होंने कहा कि ठिठुरती ठंड में 34 दिन से देश का अन्नदाता सड़कों पर है और बड़े शर्म की बात है कि हुक्मरान कोठियों में हीटर लगा आराम फरमा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वो भूल रहे हैं कि देश के किसान और मजदूरों के कारण ही वो सत्ता की दहलीज पर पहुंचे हैं। उनके पास अब भी संभलने का वक्त है। इसलिए कल होने वाली बातचीत में सरकार लचीला रूख अपनाते हुए किसानों की मांगों को पूरी करने का ऐलान करें। हुड्डा ने कहा कि वो यहां सांसद के नाते नहीं बल्कि किसान परिवार से संबंध रखने के कारण आए हैं। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून देश के किसानों और मजदूरों के लिए बड़ा खतरा है। इसलिए वो और उनके साथी किसानों के इस जनांदोलन में डटकर साथ देंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर खाप फौगाट के प्रवक्ता शमशेर फौगाट, खाप 40 सांगवान के सचिव नरसिंह डीपीई, जाटू खाप 84 के सचिव मास्टर राज सिंह, चौधरी छोटूराम और अम्बेडकर मंच के सह संयोजक मंगल सिंह बजाड़, किसान सभा के ओमप्रकाश सैनी के संयुक्त संयोजन में दिए जा रहे अनिश्चित कालीन धरने के दौरान पांचवें दिन भी टोल फ्री रखा गया। जहां वाहन मालिकों को राहत मिली वहीं अभी तक टोल कलेक्शन पर लाखों की मार पड़ चुकी है। धरने पर कानून व्यवस्था संभालने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल लगातार तैनात है। खास बात ये रही कि शांतिपूर्ण चल रहे धरने में हर रोज किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। महिलाएं भी ट्रैक्टर में सवार हो धरने पर नारेबाजी कर रही हैं।
कोरोना की आड़ में लाए कृषि कानून: महेंद्रा
धरने पर पहुंचे पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष व पूर्व विधायक रणबीर सिंह महेंद्रा ने कहा कि तीनों काले कानून अंबानी-अडानी जैसे बड़े घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए कोरोना की आड़ में लाए गए हैं। सरकार को ये गलतफहमी रही कि लोग महामारी के कारण घर से नहीं निकलेंगे। पर इन तीन कानूनों के खतरे भांप देश का किसान,मजदूर,व्यापारी और कर्मचारी एकजुट हो सड़कों पर उतर आए हैं। दिल्ली के चारों ओर धरने पर बैठे लाखों किसान इस बात का साफ संकेत दे रहे हैं कि वो अब ओर शोषण सहन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वे समय किसानों के हाथ मजबूत करने का है। इसलिए सभी राजनेतिक लोगों को खुलकर किसान आंदोलन का साथ देना चाहिए।
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