Skip to main content

दिल्ली की कोमल 19 साल की उम्र में बनी गाइड, महामारी में की ट्रैवल कम्युनिटी की शुरुआत, अब टूरिज्म इंडस्ट्री में जेंडर गैप कम करने में जी-जान से जुटीं

कोमल दरीरा ये बात बहुत अच्छी तरह जानती हैं कि ऑटो रिक्शा वालों से मोलभाव करके पैसे कम कैसे करवाए जाते हैं। अगर दिल्ली में कोई विदेशी टूरिस्ट परेशान हैं तो उसका साथ कैसे दिया जा सकता है, उसे कौन से ऐतिहासिक स्थानों पर ले जाना चाहिए, टूरिस्ट के साथ बातचीत करने और उन्हें समझने की कुशलता ही कोमल को एक कामयाब गाइड बना सकी।

कोमल महज 19 साल की उम्र में इंटरपिड ट्रैवल की पहली वुमन अरबन एडवेंचर गाइड बनीं। वो भी तब जब वे इस जॉब के साथ अपनी पढ़ाई भी कर रहीं थीं। कोमल रोज लगभग 6 या 7 घंटे 10 लोगों को गाइड करने का काम करती हैं। वे हफ्ते भर इस काम को करते हुए कभी थकान महसूस नहीं करतीं। दिल्ली के भीड़-भाड़ वाले इलाके हों या शांत माहौल टूरिस्ट को गाइड करते हुए वे देखी जा सकती हैं।

कोमल रोज लगभग 6 या 7 घंटे 10 लोगों को गाइड करने का काम करती हैं।

जब कोमल ये यह पूछा जाता है कि अपनी गाइड जर्नी के दौरान कोई ऐसा अनुभव जो आपको डरा देने वाला हो तो वे दिसंबर 2015 की वो रात याद करती हैं जब वे एक ऑटो रिक्शा में बैठकर काम से निपटने के बाद घर जा रहीं थीं। तब रात के लगभग 10 बजे थे। ऑटो वाले ने कुछ दूर ले जाकर ऑटो रास्ते में रोक दी और उन्हें नीचे उतरने को कहा।

वे कहती हैं जब ''मैंने उससे वजह पूछी तो वह कहने लगा कि मुझे सिगरेट पीना है। दरअसल उस वक्त उसने शराब पी रखी थी। फिर वह जोर से चिल्लाने लगा और मैं ऑटो से उतर गई। वह बीच रास्ते में मुझे छोड़कर चला गया। मैं जिस जगह खड़ी थी, वहां से मेरा घर 15 किमी दूर था। सुनसान रास्ते को अकेले काटना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था।''

कोमल ने अपने ऑफिस या दोस्तों को फोन लगाया लेकिन किसी से बात नहीं हो पा रही थी। कुछ देर बाद इंटरपिड के मैनेजर से बात हो पाई। वह जल्दी ही कोमल के पास टैक्सी से पहुंचे और उसे घर तक पहुंचाया।

कोमल के करिअर को सफल बनाने में उनकी नानी का अहम योगदान रहा है।

उस वक्त कोमल को ये समझने में देर नहीं लगी कि अगर सही वक्त पर उनके मैनेजर ने मदद नहीं की होती तो उस रात उनके लिए 15 किमी का सफर करना कठिन था जहां उसके साथ कुछ भी हो सकता था।कोमल चाहे घर देर से पहुंचे या अपने काम की वजह से देर रात तक जागती रहे, उनका किसी ने हमेशा साथ दिया है तो वो 69 साल की उनकी नानी हैं।

कोमल अपनी नानी की तारीफ करते नहीं थकती। उन्हीं के सहयोग की वजह से कोमल अपने करिअर में सफल रही हैं। साथ ही अपनी कंपनी इंटरपिड को अपनी सफलता का श्रेय देती हैं जिसकी वजह से वे एक कॉन्फिडेंट लीडर बन सकीं।

अरबन एडवेंचर में अपने बेस्ट परफॉर्मेंस की वजह से उन्हें 'टॉप परफॉर्मर ऑफ द ईयर' अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। कोमल कहती हैं ''टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है जहां काम करते हुए मुझे अपने शहर के बारे में विदेशियों को बताने का मौका मिला। मैंने हर पल नए अनुभव किए और उनसे बहुत कुछ सीखा। जिंदगी को लेकर मेरा नजरिया बदलने में टूरिज्म का खास योगदान रहा है''।

कोमल को इस बात की खुशी है कि उनके गाइड के तौर पर काम करने के बाद दिल्ली में महिला गाइड की संख्या बढ़ी है।

26 की उम्र में वॉइस ऑफ इंडिया टूरिज्म और इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म स्टडीज यूनिवर्सिटी, लखनऊ की सबसे युवा गेस्ट स्पीकर बनीं। कोमल ने अपनी मेहनत के बल पर टूरिज्म के क्षेत्र में होने वाले जेंडर गैप को कम करने का प्रयास किया है। उन्हें इस बात की खुशी है कि उनके गाइड के तौर पर काम करने के बाद दिल्ली में महिला गाइड की संख्या बढ़ी है।

कोमल कहती हैं ''इस क्षेत्र में आने वाली हर लड़की से मैं कहना चाहती हूं कि मेल गाइड की तरह यह फीमेल गाइड के लिए भी एक यादगार लम्हा होता है जब वह गाइड बनकर अपने देश की धरोहर, सभ्यता और संस्कृति के बारे में टूरिस्ट को बताती हैं। इस काम को करके जो खुशी मिलती है, वो अद्भुत है।'' कोमल अपने काम को एक थैरेपी और हर पल कुछ सीखने का जरिया मानती हैं।

कोमल अपने घर में मां, दादी और कुछ टूरिस्ट के साथ।

कोमल को इस बात की खुशी है कि घर के हर बड़े फैसले उससे पूछकर लिए जाते हैं। जब कोमल के पापा से एक पड़ोसी ने ये पूछा कि आपकी लड़की गाइड का काम क्यों करती है? क्या आपके पास इतने पैसे नहीं थे कि उसे पढ़ा-लिखाकर आप डॉक्टर या इंजीनियर बनाते? तो उसके पापा ने गर्व के साथ कहा, ''मुझे उसके काम से इसलिए एतराज नहीं है क्योंकि वो खुद इस काम से खुश है।''

जब कोई कोमल की शादी के बारे में उनके मम्मी-पापा से बात करता है तो वे कहते हैं, ''कोमल हमारी बेटी नहीं, बेटा है। वो अपनी मर्जी से हर फैसला ले सकती है।'' अपने मम्मी-पापा का कोमल पर भरोसा देखकर उन्हें बहुत खुशी होती है। कोमल के लिए ये छोटी-छोटी सी बातें भी बहुत मायने रखती हैं।''

कोमल ने अपनी दोस्त सृष्टि के साथ मिलकर एक ट्रैवल कम्युनिटी की शुरुआत की है।

कोमल चाहती हैं कि पुरुष प्रधान मानी जाने वाली टूरिज्म इंडस्ट्री में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं आएं। यहां काम करने वाले वर्कर्स को लड़का या लड़की होने की वजह से नहीं बल्कि उनकी योग्यता के बल पर काम मिले। टूरिज्म कंपनीज को इस दिशा में प्रयास करने की जरूरत है ताकि अन्य क्षेत्र की तरह यहां भी महिलाओं का वर्चस्व हो।

टूरिज्म के क्षेत्र में काम करते हुए कोमल को इस बात का अहसास है कि यहां काम करने वाली महिलाएं किन दिक्कतों का सामना करती हैं। कोमल ने अपनी दोस्त सृष्टि के साथ मिलकर एक ट्रैवल कम्युनिटी की शुरुआत की है जिसे 'वुमन फॉर वर्ल्ड' नाम दिया है।

वे चाहती हैं उनके इस प्रयास से सारी दुनिया की महिलाओं की रियल स्टोरी लोगों के सामने आए। इससे अन्य महिलाओं को भी कुछ कर दिखाने की प्रेरणा मिलेगी।

कोरोना काल में कोमल टूरिज्म को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं।

अगर कोरोना काल के दौरान टूरिज्म इंडस्ट्री की बात हो तो ये हम सभी जानते हैं कि इस महामारी का विपरीत प्रभाव जिन क्षेत्रों में हुआ है, उसमें टूरिज्म इंडस्ट्री भी शामिल है। टूरिज्म इंडस्ट्री के जरिये रोजगार पाने वालों की नौकरी बचाने के लिए आप इस साल के अंत या अगले साल के लिए अच्छी होटल्स या टूरिस्ट स्पॉट्स में बुकिंग करें ताकि वहां काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी बच सके। इस वक्त जब आप सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घर में हैं तो वर्चुअल वर्ल्ड की सैर कर टूरिज्म के प्रति अपने साथ-साथ बच्चों की भी जानकारी बढ़ाएं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Delhi's gentle 19-year-old guide, travel community in epidemic 'Woman for the World' is trying to reduce the gender gap in the tourism industry


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3mXv3ML

Popular posts from this blog

कच्चे क्वार्टर बाजार के बीच से गुजर रहे हैं बिजली के तार, हादसा आगजनी में 1999 में 48 लोगों की हुई थी मौत

शहर का सबसे व्यस्त व भीड़ वाले बाजार कच्चे क्वार्टर के बीच से बिजली के तार गुजर रहे हैं। केबल न होने से हवा चलने पर यह तार आपस में टकरा जाते हैं। जिससे चिंगारी निकलती है। ऐसे में यहां आगजनी होने का खतरा बना रहता है। व्यापारियों व दुकानदारों ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए कई बार मांग कर चुके हैं। लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। जबकि यहां एक बार बड़ी अनहोनी हो चुकी है। 1999 में आगजनी होने पर 48 लाेगों की हुई थी मौत कच्चे क्वार्टर में नवंबर, 1999 में बड़ी आगजनी की घटना हुई थी। आगजनी घटना शार्ट-सर्किट के कारण हुई थी। आग में 48 लोगों की जान गई थी। वहीं सौ से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। एक ही दुकान के अंदर दर्जनों लोगों की जान गंवाई थी। कच्चे क्वार्टर बाजार में 1999 के बाद भीड़ करीब 10 गुणों बढ़ गई है। हर दिन यहां हजारों लोग खरीददारी के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में यहां दुकानों के स्टाल पर लटकते तारों से हादसा होने का अंदेशा है। यहां दिन के समय भी पैदल निकलना भी मुश्किल हो रहा इस क्षेत्र में अतिक्रमण लगातार बढ़ रहा है। जबकि नगर निगम पर इस पर कंट्रोल नहीं है। यहां दिन में पैदल...

2 दिन से एमएसपी पर पीआर धान की नहीं हुई खरीद, सरकारी रिकॉर्ड में 17500 क्विंटल मंडियों में अटका

सरकार और राइस मिलर्स की लड़ाई में किसान पिस रहा है। पीआर धान की सरकारी खरीद कागजों में रविवार से शुरू हो चुकी है लेकिन पूरे जिले में किसी भी मंडी में एक दाने की खरीद अब तक नहीं हुई। मार्केट कमेटी के रिकॉर्ड अनुसार ही 17500 क्विंटल पीआर धान मंडियों में पहुंच चुका है। हालांकि धान इससे कहीं ज्यादा मात्रा में मंडियों में पड़ा है। सोमवार सुबह नई अनाज मंडी में एमएसपी पर धान की खरीद शुरू न होने पर किसानों ने मार्केट कमेटी कार्यालय के बाहर धरना शुरू किया। उसके बाद एसडीएम संजय कुमार किसानों के बीच पहुंचे और उन्हें एमएसपी पर खरीद का आश्वासन दिया। किसानों ने एसडीएम से दो टूक कहा कि वे पहले ही दुखी हैं और अब उन्हें और परेशान नहीं किया जाए। एक दिन का अल्टीमेटम देते हुए किसान बलजीत किच्छाना, गुरनाम सिंह डोहर, फूल सिंह नरड़, संजय ग्योंग, होशियार गिल व राममेहर गिल प्यौदा, तेजिंद्र सिंह अरनौली ने कहा कि अगर सोमवार सायं तक एम एसपी पर खरीद शुरू नहीं हुई तो मंगलवार से किसान कार्यालय के बाहर धरना देंगे और आंदोलन करने को मजबूर होंगे। किसानों को एक-एक क्विंटल धान लाने के मैसेज पर एसडीएम बोले-गलती सुधारी ज...