गुरु गोबिंद सिंह विश्वविद्यालय दिल्ली से संबंधित महाराजा अग्रसेन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के प्रबंधन विभाग के विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच मुख्य वक्ता के तौर पर कोविड-19 के बाद फाइनेंस सेक्टर में अवसर एवं कठिनाइयों पर ऑनलाइन बोलते हुए चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा के कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह सोलंकी ने वर्तमान समय को भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने भारत की सभी संस्थाओं को री-इन्वेंट करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सरकार को हेल्थ केयर, सेनिटेशन और पब्लिक हाईजिन, पब्लिक कम्युनिकेशन और डिजास्टर मैनेजमेंट तथा पॉलीटिकल पार्टियों की प्राथमिकताओं में बदलाव की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रोफेसर सोलंकी ने कहा कि नीति आयोग द्वारा राष्ट्र विकास की योजनाओं को वर्तमान समय की जरूरतों अनुसार संशोधित कर कोविड-19 से मिली चुनौतियों को अवसर में तब्दील किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें न केवल इंट्रा-गवर्नमेंट बल्कि इन्टर-गवर्नमेंट सहयोग की आवश्यकता है।
प्रोफेसर सोलंकी ने कहा कि दुनिया का भारत में विश्वास बढ़ा है और चीन से विश्वास टूटा है, ऐसे में स्वदेशी उत्पादन और विदेशी कंपनियों की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दोनों को ही तेजी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। कुलपति ने कहा कि बदली हुईं परिस्थितियों में डी-ग्लोबलाइजेशन और संरक्षणवाद जैसे नए विचारों पर सोचना पड़ेगा। एनिमल प्रोडक्ट पर दुनिया को अपनी निर्भरता कम करनी होगी और भारत को दुनिया के सामने आर्गेनिक खेती का मॉडल पेश करना चाहिए। घिसी-पिटी विदेश नीति और शिक्षा नीति के बदलाव का भी समय है।
देश के मजदूर एवं श्रमिक वर्ग के हितों को ध्यान में रखने की भी आवश्यकता है, क्योंकि राष्ट्र विकास में इस वर्ग का महत्वपूर्ण योगदान है। अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार युद्ध की स्थित में कोविड-19 के बाद की आर्थिक स्थिति भारत के पक्ष में है और इस मौके का हमें फायदाउठाना चाहिए।सोलंकी ने बताया की भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति अगले एक-दो दशक में चीन और अमेरिका से भी मजबूत हो सकती है। विज़न भारत 2030 के लिए लोहा गर्म है। इसको अभी उचित फोर्स से हिट करने की आवश्यकता है। यदि ऐसा हुआ तो प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सुझाया गया आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो सकता है।
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