
जिले के किसानों की फसलों को टिड्डी दल के प्रकोप से बचाने के लिए प्रशासन द्वारा टिड्डी दल की प्रत्येक गतिविधि व उनके व्यवहार पर नजर रखी जा रही है। जिला में टिड्डी दल के आने की स्थिति में कीटनाशक दवा के स्टॉक को बढ़ाकर 3500 लीटर कर दिया गया है तथा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिकों व केंद्रीय टिड्डी नियंत्रण संस्थान के समन्वय व सलाह से ठोस रणनीति तैयार की गई है। उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने बताया कि पड़ोसी राज्य राजस्थान में टिड्डी दल की उपस्थिति की सूचना के आधार पर जिला में टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए समुचित प्रबंध किए गए हैं। इसके लिए कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा राजस्थान के कृषि विभाग से सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है। इस संबंध में आज ही केंद्रीय टिड्डी नियंत्रण संस्थान, नई दिल्ली के उपनिदेशक डॉ. केएल गुज्जर द्वारा जिला के कृषि अधिकारियों व हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को वेबीनार के माध्यम से प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है।
उन्होंने बताया कि टिड्डी दल रात्रि को एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए सफर नहीं करता है बल्कि सूर्यास्त होते ही यह खेतों में बैठ जाता है। उसी समय इस पर कीटनाशक का स्प्रे करके इसे समाप्त किया जा सकता है। यदि जिला के किसी गांव में टिड्डी दल के आने की सूचना मिले तो किसान तुरंत कृषि विभाग की किसान बंधु नामक हेल्पलाइन नंबर 01662-225713 पर फोन करके अथवा कृषि विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. अरूण कुमार (9215809009) को फोन करके सूचना दें। जिला में टिड्डी दल पर नियंत्रण लगाने के लिए व्यापक रणनीति बनाई गई है। सभी उपमंडलों में इस संबंध में आवश्यक प्रबंधों के लिए संबंधित एसडीएम को अपने-अपने उपमंडल का नोडल अधिकारी लगाया गया है। कृषि उपनिदेशक डॉ. विनोद फोगाट ने बताया कि उपायुक्त के आदेशानुसार जिला में ग्राम स्तर पर जागरूकता के लिए टीमों का गठन कर अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी गई है। इसके साथ ही सभी सरपंचों को सचेत रहने व इस संबंध में ग्रामीणों को भी सूचना प्रेषित करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि जिले में क्लोरोपाइरीफास दवाई की उपलब्धता को 1500 लीटर से बढ़ाकर 3500 लीटर कर दिया गया है।
इधर, हांसी के एसडीएम डॉ. जितेंद्र अहलावत ने अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में एसडीएम ने कहा कि हरियाणा के सीमावर्ती इलाकों में टिड्डी दल की उपस्थिति की सूचना मिली है। हांसी उपमंडल के किसी गांव में टिड्डी दल के आने की स्थिति में नियंत्रण के लिए कृषि विभाग ठोस कार्ययोजना तैयार करें। उन्होंने बताया कि टिड्डी दल झुंड के रूप में चलता है। पीले रंग की टिड्डी 5 से 15 किलोमीटर की गहराई पर 60 से 80 अंडे देती है। इसका झुंड 200 किलो मीटर तक उड़ान भरता है। टिड्डी दल रात को झाड़ियों और पेड़ों पर विश्राम करता है। सुबह उड़ान भरता है।
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