95 फीसदी लाेग खुद से हेल्थ चेकअप और सैंपलिंग के लिए पहुंच रहे अस्पताल, विभाग के 100 फीसदी एक्टिव सर्विलांस और टीम की बदौलत समुदाय में नहीं फैला काेराेना

जिले में 30 मार्च काे पहला कोरोना पाॅजिटिव केस मिला था। इसके बाद कभी एक सप्ताह ताे कभी 14 दिन के अंतराल पर केस मिलते रहे। पर, पिछले एक पखवाड़े से कोरोना जिस तेजी से फैला है वह चिंता का विषय है। मगर सुखद पक्ष यह कि लाेगाें की जागरूकता-सजगता और स्वास्थ्य विभाग के एक्टिव सर्विलांस से वायरस काे तीसरी स्टेज यानी समुदाय में फैलने से राेकना संभव हुआ है। सिविल अस्पताल की महामारी विद् डाॅ. शिल्पी और डाॅ. अदिति ने मार्च, अप्रैल और मई माह में सामने आए कोरोना राेगियाें पर स्टडी की।
उन्हाेंने माना कि वर्तमान में 95 फीसदी लाेग खुद से स्वास्थ्य जांच व सैंपलिंग करवाने के लिए सिविल अस्पताल पहुंच रहे हैं। 5 फीसदी ऐसे हैं जाे बाहर से आकर घर में हाेम क्वारेंटाइन हाे रहे हैं मगर सैंपलिंग के लिए परिजनाें के कहने या फिर कंप्लेंट के बाद अस्पताल पहुंच रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के 100 फीसदी एक्टिव सर्विलांस व टीम वर्क की बदाैलत कोरोना का कहर फिलहाल थमा हुआ है।
इन पांच प्वाइंट से जानिए... हेल्थ टीम कोरोना काे राेकने के लिए क्या उठा रही है कदम
1.संदिग्ध राेगी : संदिग्ध लाेगाें की पहचान कर सैंपल लेकर क्वारेंटाइन किया जाता है। विभाग की निगरानी रहती है।
2. पाॅजिटिव राेगी : कोरोना की पुष्टि हाेने पर राेगी काे अग्राेहा मेडिकल काॅलेज में रेफर दिया जाता है।
3.काॅन्टेक्ट हिस्ट्री : पाॅजिटिव राेगी की ट्रेवल व काॅन्टेक्ट हिस्ट्री निकालकर उसके संपर्क में अाए हर परिजन, परिचित व अन्य लाेगाें की सूची तैयार हाेती है।
4. रिस्क केस : हाई रिस्क व लाे रिस्क वालाें की पहचान हाेती है। राेगी के साथ आधे घंटे से ज्यादा समय बिताने से लेकर बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती व अन्य बीमारियाें से ग्रस्त राेगियाें काे हाई रिस्क कैटेगिरी में रखते हैं। कम समय बिताने वाले, राह चलते मिलने वालाें काे लाे रिस्क में रखा जाता है।
5. आइसाेलेट : बिना वक्त गंवाए राेगी काॅन्टेक्ट वालाें काे अस्पताल के आइसाेलेशन वार्ड में दाखिल कर उनकी स्वास्थ्य जांच हाेती है। इसके बाद उनकी सैंपलिंग करवाई जाती है। जब रिपाेर्ट निगेटिव आती है, तभी डिस्चार्ज करके कंडीशन अनुसार फैसिलिटी या हाेम क्वारेंटाइन किया जाता है।
रेंडम सैंपलिंग कारगर
काेराेना पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने रेंडम सैंपलिंग काे बढ़ा दिया। यह कारगर भी साबित हुई। जिले में एक-दाे कोरोना पाॅजिटिव केस रेंडम सैंपलिंग में सामने आए। सिविल अस्पताल के फ्लू क्लीनिक में माैजूद एक्सपर्ट काे भी सैंपलिंग के वक्त यकीन हाे जाता है कि व्यक्ति संदिग्ध है। बाहर से आने वाले हर व्यक्ति की सैंपलिंग हाे रही है। पिछले एक पखवाड़े में सबसे ज्यादा राेगी मिले हैं, जिन्हें पहले से क्वारेंटाइन रखा था। इन्हें मूवमेंट नहीं करनी दी थी। इसलिए अभी तक समुदाय में कोरोना फैलने से बचा है।
ये हाें अलर्ट
: ऐसे में सभी मामले सामने आए हैं जिसमें लाेग बाहर से आकर घर में क्वारेंटाइन हाे जाते हैं। पर, उनके बर्तन, कपड़े धाेने सहित इत्यादि काम परिजन कर रहे हैं। ऐसा करने से बचें। इससे संक्रमण का रिस्क परिजनाें काे हाेगा। खुद से सभी काम करें। अपने बर्तन व कपड़े अलग रखें व अलग से धाेएं।
लाेगाें का सहयाेग जरूरी है : डाॅ. अदिति
^कोरोना पर नियंत्रण में आमजन का सहयाेग बहुत जरूरी है। उनकी सजगता से कोरोना काे फैलने से राेक सकते हैं। अभी हेल्थ विभाग का बड़े अधिकारी से लेकर छाेटा कर्मचारी तक कोरोना काे हराने में जुटा है। सीसीटीवी की फुटेज खंगालकर टीमें कोरोना राेगी के काॅन्टेक्ट वालाें काे ट्रेस कर रही है। आईडीएसपी इंचार्ज डाॅ. जया गाेयल के निर्देशन में सभी डाॅक्टर, स्टाफ, कर्मी टीम भावना से काम कर रहे हैं। टिब्बा दानाशेर में एक काेरियाेग्राफर दाेस्ताें संग मुंबई से लाैटा था। घर जाने से पहले सीधा स्वास्थ्य जांच व सैंपलिंग के लिए सिविल अस्पताल आया था। ढाणी माेहब्बतपुर में जाने से पहले परिवार से दिल्ली से सीधा सिविल अस्पताल आया था। यहां सैंपल देकर गांव के धाम में रुका था। ऐसे कई उदाहरणाें से लाेगाें की सजगता का अंदाजा लगा सकते हैं।'' - डाॅ. शिल्पी, डाॅ. अदिति, महामारी विद्|
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