भ्रष्टाचार नगर निगम का पीछा नहीं छोड़ रहा है। 6 माह से शांत पड़े हुए स्ट्रीट लाइट घोटाले की जांच से गुरुवार को नगर निगम के अफसर विचलित हो गए। क्योंकि शहरी स्थानीय निकाय के निदेशक अमित अग्रवाल ने कमिश्नर ओम प्रकाश सहित निगम के 6 अफसरों को समन जारी कर पंचकूला तलब कर लिया। जो रिकॉर्ड जांच कमेटी को निगम अफसर पांच माह से नहीं दे रहे हैं, निदेशक ने एक सप्ताह में देने के लिए अफसरों को बाउंड कर दिया। कमिश्नर हामी भरकर आएं हैं कि एक सप्ताह में रिपोर्ट मिल जाएगी।
निदेशक ने अफसरों को एक प्रोफार्मा भी दिया, कहा कि इसी के मुताबिक रिपोर्ट लेकर आना। इससे पहले पानीपत नगर निगम के अफसरों ने मंत्री अनिल विज के निर्देश पर बनाई गई जांच कमेटी को टुकड़ों में कुछ रिकॉर्ड उपलब्ध कराए थे। निदेशक के आदेश के बाद निगम अफसरों की हवाइयां उड़ी हुई हैं। अब एक हफ्ते में जवाब देना है।
एक सप्ताह में रिपोर्ट देने के लिए बाउंड किया तो हामी भरकर आए निगम अफसर
पंचकूला से आया था समन : निदेशक का समन था इसलिए कमिश्नर ओम प्रकाश, एसई महीपाल सिंह, एक्सईएन नवीन कुमार व ज्ञानप्रकाश वधवा, एमई जगबीर मलिक और जेई मनोज कुमार गुरुवार को पंचकूला पहुंच गए। इससे एक दिन पहले एक्सईएन राहुल पुनिया भी रिकॉर्ड देने पंचकूला पहुंचे थे।
इस मामले में 2 सवालों के जवाब जानने जरूरी
1 निदेशक ने क्यों कमिश्नर तक को तलब कर लिया: घोटाले के बाद मंत्री अनिल विज के 18 दिसंबर 2019 को दिए निर्देश पर करनाल निगम के चीफ इंजीनियर रमेश चंद मढान के नेतृत्व में जांच कमेटी बनी। इसे 15 दिन में रिपोर्ट देनी थी, पर निगम अफसरों ने रिपोर्ट नहीं दी। चीफ इंजीनियर ने निगम कमिश्नर को 3 बार लेटर लिखा, साथ में ही कॉपी यूएलबी के निदेशक को करते रहे। इसलिए, यूएलबी निदेशक ने कमिश्नर सहित अफसरों को तलब किया।
2 क्यों रिकॉर्ड देने से कतरा रहे अफसर: आखिर रिकॉर्ड देने में अफसरों को क्या दिक्कत आ रही है? यह वह रिकॉर्ड है, जिसमें दर्ज है कि 2 सालों में शहर में स्ट्रीट लाइट लगाने में 3 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। रिकॉर्ड में ऐसे-ऐसे फर्मों से स्ट्रीट लाइटें खरीदना दिखाया गया है, जिसमें से कोई रेत-बजरी बेचता है, कोई सोना-चांदी का कारोबारी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि बिल्डिंग मटीरियल सप्लायरों को भी स्ट्रीट लाइट के एवज में अफसरों ने पेमेंट की है।
2 पाॅइंट से समझें, निगम का सिस्टम कैसे काम कर रहा है
1 जिस जेई भूपेंद्र को सस्पेंड करने की सिफारिश हुई वह पदोन्नति पा गया: पार्षदाें की बनी जांच रिपोर्ट के बाद नगर निगम हाउस ने 16 दिसंबर की मीटिंग में जेई भूपेंद्र सिंह को सस्पेंड करने की सिफारिश की किया। भूपेंद्र ने जांच कमेटी को रिकॉर्ड नहीं दिया था। हाउस की सिफारिश के बाद भी भूपेंद्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। भूपेंद्र, आज बतौर एमई चरखी-दादरी में काम कर रहे हैं। भूपेंद्र की दो-तीन मेजरमेंट बुक अफसरों को नहीं मिल रही है। अफसर इससे परेशान हैं।
2 जिन अफसरों के कार्यकाल में ज्यादा लाइटें खरीदी गई, वे बाहर जा चुके हैं: घोटाले में कौन शामिल थे और कौन नहीं, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन जिन अफसरों के कार्यकाल में नगर निगम ने ज्यादा स्ट्रीट लाइटें खरीदी, वे 6 अफसर यहां से जा चुके हैं। जिनमें एक्सईएन अंकित लोहान, एमई प्रदीप कल्याण, एमई विनोद गोयल, जेई मंजीत राठी और जेई विरेंद्र मलिक।
क्या है पूरा मामला
10 अगस्त 2019 को नगर निगम हाउस की मीटिंग में मुद्दा उठा कि 2 सालों में शहर में जो स्ट्रीट लाइटें लगाई गई, उसमें करीब 3 करोड़ का घोटाला हुआ है। पार्षद दुष्यंत भट्ट की अध्यक्षता में कमेटी बनी, जिसने 16 दिसंबर को हाउस की मीटिंग में अपनी रिपोर्ट दी। रिपोर्ट में कई तथ्य चौकाने वाले थे- मसलन- सिंगल बिड पर ही अफसरों ने टेंडर जारी कर दिए। विभागीय काम में भ्रष्टाचार किया गया। ठेकेदारों ने पानी सप्लाई की पाइप पर स्ट्रीट लाइटें लगा दी। 18 दिसंबर को शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल ने जांच के आदेश दिए थे।
कमिश्नर बोले- देरी नहीं हुई; नगर निगम कमिश्नर ओम प्रकाश ने कहा कि रिकॉर्ड लेकर निदेशक के पास गया था, लेकिन उन्होंने अब हमें प्रोफार्मा दिया है, उसी के तहत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट देने में कोई देर नहीं हुई, सब कुछ ठीक है।
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