55 साल से ऊपर के 4 बुजुर्ग काेराेना से लड़ रहे, कहा- हमने स्वाइन फ्लू, डेंगू व मलेरिया का दाैर भी देखा है, तब भी नहीं डरे और अब भी नहीं डरेंगे

काेराेना वायरस की इस महामारी की जंग में हर काेई अपने-अपने क्षेत्र में ड्यूटी निभाकर याेद्धा की तरह लड़ रहा है। 55 साल से ऊपर के 4 बुजुर्ग काेराेना से डटकर काेराेना से लड़ रहे हैं।
सिविल अस्पताल में 4 कर्मचारी एेसे हैं जाे 24-24 घंटे की ड्यूटी दे रहे हैं। इन चार लाेगाें में डिकाडला गांव के 56 साल के राेहताश व 59 साल के रामनिवास, हथवाला गांव के 59 साल के सुखबीर और मनाना गांव के 58 साल के राजबीर है। ये चाराें स्वास्थ्य विभाग में हैं सैनिटाइजर का काम देख रहे हैं। इससे पहले ये मलेरिया विभाग में स्वास्थ्य निरीक्षक वर्कर थे, लेकिन जब से काेराेना वायरस आया है तब से ये सैनिटाइजर का स्प्रे कर रहे हैं। चाराें काे दाे-दाे की टीम में बांटा गया है।
एक टीम के दाे लाेग एक दिन के 24 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं यानी सुबह 9 बजे से लेकर अगले दिन के सुबह 9 बजे तक। अगले दिन फिर दूसरी टीम के 2 लाेग एेसे ही काम करते हैं। उन्हाेंने बताया कि वाे किसी भी पाॅजिटिव मरीज काे लानी वाली एंबुलेंस, आइसाेलेशन वार्ड, क्वारेंटाइन सेंटर, जच्जा-बच्चा वार्ड, आयुष्मान अस्पताल, आईटीआई, प्रेम अस्पताल सहित कई जगहाें पर सैनेटाइजर का स्प्रे करते हैं। उन्हाेंने कि कहा हमने स्वाइन फ्लू, डेंगू और मलेरिया का दाैर भी देखा है, तब भी नहीं डरे और अब भी नहीं डरेंगे
उम्र का डर नहीं : राेहताश
डिकाडला के राेहताश ने बताया कि जब भी काेई पाॅजिटिव मरीज वार्ड में या एंबुलेंस में आता है ताे डर नहीं लगता। हम बेझिझक हाेकर अपना काम करते हैं। वार्ड व एंबुलेंस के अंदर जाकर सैनिटाइजर करते हैं। पीपीआई किट भी पहनते हैं। हम काेराेना से नहीं डरते हैं। हमें उम्र का डर नहीं है, बस जाे कर रहे है देश के लिए कर रहे हैं। परिवार में पत्नी, बेटा-बहू, पाेता और दाे बेटी हैं। घर जाने से पहले खुद काे कुछ समय के लिए बाहर रखता हूं, फिर घर जाता हूं।
देश सेवा कर रहा हूं : सुखबीर
सुखबीर ने कहा कि उसकी रिटायमेंट में दाे महीने बचे है। वह इससे पहले अच्छा काम करके रिटायरमेंट हाेना चाहता था। और ये ही वाे काम है। असल में ये काम नहीं देश सेवा है। घर वाले भी इसकाे लेकर चिंतित नहीं है, बल्कि कहते है कि हमें अाप पर गर्व है। हम काम का भय मानकर नहीं काम काे मिशन मानकर करते हैं। घर जाने से पहले बाहर वाले कमरे में रुकते हैं, वहीं से गर्म पानी में नहाते है और कपड़ाें काे सैनिटाइज कर फिर परिवार से मिलते हैं।
राजबीर और रामनिवास ने कहा कि हम जाे इस उम्र में काम कर रहे हैं वाे हमारे लिए हाैसले का काम हैं। शारीरिक अाैर मानसिक काेई समस्या नहीं है। उन्हाेंने बताया कि हम चाराें की 32-33 साल की नाैकरी हाे चुकी है। उन्हाेंने कि कहा हमने स्वाइन फ्लू, डेंगू और मलेरिया का दाैर भी देखा है, तब भी नहीं डरे अाैर अब भी नहीं डरेंगे। हम न तब काम से पीछे हटे थे और न ही अब हटेंगे। हम भय से नहीं अपने मन से काम कर रहेे हैं।
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